आश्विन मास की अमावस्या, सर्वपितृ अमावस्या पर इस बार अति दुर्लभ गजच्छाया योग बना है।2 अक्टूबर 2024 बुधवार को बन रहे इस दुर्लभ योग के बारे में महाभारत के शांति पर्व में भी उल्लेख है।
उसमें कहा गया है कि जो जातक इस दिन अपने पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान आदि कर्म करता है उसके पितृ 12 वर्षों तक संतुष्ट रहते हैं। इस योग में किया गया तर्पण पितृरों को 12 वर्षों तक प्रसन्न रखता है।
कैसे बनता है गजच्छाया योग
गजच्छाया योग दो प्रकार से बनता है। सूर्य वर्ष में एक बार हस्त नक्षत्र में प्रवेश करता है और उसी दौरान चंद्र भी हस्त नक्षत्र में हो तो गजच्छाया योग बनता है। 2 अक्टूबर को सूर्य हस्त नक्षत्र में रहेगा और चंद्र भी दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से हस्त नक्षत्र में प्रवेश करेगा।
सूर्य और चंद्र दोनों के हस्त नक्षत्र में रहने से गजच्छाया योग बनेगा
इस प्रकार सूर्य और चंद्र दोनों के हस्त नक्षत्र में रहने से गजच्छाया योग बनेगा। दूसरा, जब सूर्य हस्त नक्षत्र में हो और इस पर राहु या केतु की पूर्ण दृष्टि हो तो भी गजच्छाया योग बनता है। 2 अक्टूबर को सूर्य और राहु आमने सामने होंगे। सूर्य कन्या में और राहु मीन राशि में होने के कारण इनका दृष्टि संबंध बन रहा है।
क्या लाभ है गजच्छाया योग?
गजच्छाया योग को हस्तिछाया योग भी कहा जाता है। इस योग के बारे में महाभारत के शांति पर्व में विस्तार से बताया गया है। कहा जाता है इस योग में पितरों को तर्पण, पिंडदान करके जो जल-अन्न आदि हविष्य दिया जाता है वह उन्हें 12 वर्षों तक तृप्त रखता है। वे जो भी ग्रहण करते हैं उससे 12 वर्ष तक संतुष्ट रहते हैं और पृथ्वी पर जीवित अपने स्वजनों को अच्छे आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
क्या करें इस योग में
गजच्छाया योग में अपने ज्ञात-अज्ञात पितरों के लिए श्राद्ध कर्म करना चाहिए। अपनी श्रद्धा और क्षमतानुसार ब्राह्मणों को भोजन आदि करवाएं। उन्हें दान-दक्षिणा प्रदान कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
DISCLAIMER: यह सूचना इंटरनेट पर उपलब्ध मान्यताओं और सूचनाओं पर आधारित है। हिमालय प्रहरी लेख से संबंधित किसी भी इनपुट या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।
अपने मोबाइल पर ताज़ा अपडेट पाने के लिए -
👉 हमारे व्हाट्सएप ग्रुप को ज्वाइन करें