हिमालय प्रहरी

थाईलैंड से लौटा था पति, मिलने की चाह में पत्नी को देने पड़े 30 लाख रुपये, होश उड़ा देगी कहानी

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भोपाल में रियल एस्टेट कारोबारी का अपहरण करके 30 लाख रुपये की फिरौती वसूलने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. आरोपियों ने कारोबारी के परिजनों से एक करोड़ रुपए की फिरौती मांगी थी.

अपना सुहाग बचाने के लिए कारोबारी की पत्नी से 30 लाख रुपये में डील फाइनल की. सभी आरोपी पीड़ित से पहले से ही परिचित थे. वारदात करीब 21 दिन पहले 27 से 29 अक्टूबर के बीच की बताई जा रही है. घटना के 17 दिन प्रॉपर्टी डीलर की पत्नी थाने पहुंची और रिपोर्ट दर्ज कराई है. आरोपियों में पुलिस आरक्षक भी शामिल है. पूरी कहानी हैरान करने वाली है.

पीड़ित कारोबारी नितेश सिंह ठाकुर शहर के कोलार स्थित दानिश हिल्स में रहने वाले हैं. नितेश का एक दोस्त उसे विदेश घुमाने के बहाने थाईलैंड ले गया. भोपाल लौटते ही उसे सगाई के बहाने ग्वालियर ले गए. फिर बीच रास्ते में मुरैना टोल के पास घोड़ापुर में अपने ही दोस्तों से अगवा कर लिया. आरोपी करोबारी नितेश को एक होटल के बेसमेंट में लेकर गए और बंधक बनाकर जमकर पीटा.

आरोपियों ने नितेश के परिजनों को फोन लगाया और 1 करोड़ की फिरौती मांगी. पत्नी ने हिम्मत नहीं हारी और बदमाशों से बात की. किसी तरह 30 लाख रुपये में डील फाइनल की. फिरौती भोपाल में दी गई. फिर 29 अक्टूबर को आरोपी नितेश को भोपाल में छोड़कर चले गए. बदमाशों ने फिर से 10 करोड़ की फिरौती की मांती तो पीड़ित पुलिस के पास पहुंचा. कोलार थाना पुलिस ने कारोबारी नितेश सिंह ठाकुर की पत्नी ऋचा की शिकायत पर संजय रावत, पंकज परिहार, पुलिस आरक्षक हेमंत चौहान, ओम राजावत और आकाश राजावत के खिलाफ केस दर्ज किया है.

नितेश सिंह ठाकुर ने हाल ही में मिसरोद में 32 करोड़ रुपए की जमीन बेची है. इसकी जानकारी संजय राजावत निवासी न्यू द्वारकापुरी पुरानी छावनी ग्वालियर, पंकज परिहार पिपरोली गढ़िया जिला इटावा यूपी, भोपाल ट्रैफिक पुलिस के आरक्षक रहे हेमंत चौहान, ओम राजावत और आकाश राजावत को थी. आरोपी नितेश से करीबी रिश्तेदार की सगाई में ग्वालियर आने की बात कहते थे. आरोपियों से परिचित होने की वजह से पीड़ित टैक्सी से ग्वालियर जाने के लिए 27 अक्टूबर को भोपाल से रवाना हुआ. रास्ते में मुरैना टोल के पास घोड़ापुर में पीड़ित को आरोपियों ने अगवा कर लिया था.

पीड़ित नितेश ने बताया, ‘जब मैं घर लौटा तो चार दिन तक एफआईआर नहीं कराए. इससे बदमाशों के हौसले और बुलंद हो गए. मुझसे फिर से अड़ीबाजी करने लगे. मेरे घर की रेकी करवाने लगे. फोन लगाने लगे. मैं डर गया. मैंने रिश्तेदारों से बात की और कोलार थाने में जाकर आवेदन दिया. पुलिस ने मेरी मदद की. आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया. मुझे न्याय दिलाया.’

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