4 मर्डर और 1 सुसाइड : बार-बार बजती थी नीतू के फोन की घंटी, पंकज के गहराते शक ने लील लिया हंसता-खेलता परिवार

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बिहार में भागलपुर की सिपाही नीतू ठाकुर की हत्या ने सबको झकझोर कर रख दिया है। अब तक स्वजन से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस घटना के पीछे का कारण उसके पति द्वारा चरित्र पर संदेह से उपजा आक्रोश बताया जा रहा है।

संदेह की आग में नीतू समेत उसका हंसता-खेलता पूरा परिवार खत्म हो गया। दोनों बच्चे, सास व पति की मौत हो चुकी है। नीतू अपने ननिहाल बक्सर में ही पली-बढ़ी थी।

हत्या की सूचना पर उसके मामा शव लाने गए हैं। नीतू का एकलौता भाई सेना में है। एक बहन अविवाहित है। दो बहनों की शादी हो गई है, दोनों गृहिणी हैं।

नीतू की मां ज्ञांति देवी ने बताया कि वह मूल रूप से सारण के राजापट्टी थाना अंतर्गत हरपुर जान गांव की हैं।

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पति के निधन के बाद मायके आ गई थी नीतू की मां

जनवरी 2003 में पति रामजनम ठाकुर के निधन के बाद चार पुत्रियों और एक पुत्र की परवरिश के लिए बक्सर में नई बाजार के तातो मोहल्ले में पिता गणेश ठाकुर के घर आ गई। तब से सपरिवार यहीं रह रही हैं।

सबसे बड़ी बेटी से दूसरे नंबर पर नीतू ने बक्सर में ही स्नातक की शिक्षा प्राप्त की थी। उसका अंतरजातीय प्रेम विवाह भोजपुर के मझियांव निवासी पंकज सिंह के साथ हुआ था।

बक्सर में मौजूद मृतक सिपाही नीतू की मां, मामा और नाना।

शादी के बाद 2015 में उसका चयन सिपाही के पद पर हो गया। पहली पोस्टिंग नवगछिया में हुई थी, तीन वर्ष पहले उसका स्थानांतरण भागलपुर पुलिस लाइन में हुआ था।

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नीतू का एक छह साल का पुत्र शिबू और ढाई साल की पुत्री श्रेया थी। ज्ञांति ने कहा कि मंगलवार की सुबह लगभग 10 बजे उनके पास भागलपुर से फोन आया कि नीतू और पति समेत उसके दोनों बच्चे और सास की हत्या हो गई है।

सूचना मिलते ही शव लेने के लिए नीतू के मामा भागलपुर के लिए रवाना हो गए। वह स्वयं भी जाना चाहती थीं, परंतु ट्रेन नहीं मिलने के कारण लौट आना पड़ा।

फोन आने पर पति करता था शक, कई बार मां ने कराया था समझौता

मां ज्ञांति देवी ने बताया कि पुलिस की नौकरी होने के कारण प्राय: लाइन से नीतू को फोन आता रहता था। बेरोजगार पति को हर कॉल पर शंका होती थी कि यह नीतू के किसी प्रेमी का है।

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इस बात पर दोनों के बीच आए दिन विवाद होता रहता था, इसकी जानकारी मिलने पर कई बार उन्होंने स्वयं जाकर दोनों के बीच समझौता कराया था।

मां ने बताया कि वे बार-बार दामाद को समझाती थीं कि शक की बीमारी बहुत बुरी चीज है और घर की सारी खुशियां छीन लेगी। अंतत: इसका इस तरह दुखद अंत होगा, यह अनुमान भी नहीं था। यह कहकर वह सुबकने लगीं।

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