सनातन धर्म में माता सरस्वती को ज्ञान, भक्ति, विद्या और बुद्धि की देवी कहा गया है। हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है। इस दिन ज्ञान की देवी माता सरस्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
🌟 बसंत पंचमी का महत्व
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ज्ञान की देवी: मां सरस्वती की उपासना से अज्ञानता दूर होती है। इसलिए यह दिन विद्यार्थियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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संगीत: माता सरस्वती को संगीत की देवी भी कहा जाता है, इसलिए इनकी उपासना से संगीत में महारत हासिल की जा सकती है।
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विद्यारंभ: वसंत पंचमी का दिन विद्यारंभ (शिक्षा की शुरुआत) के लिए खास माना गया है।
📅 बसंत पंचमी 2026: तिथि और शुभ मुहूर्त
दृक पंचांग के अनुसार, बसंत पंचमी की तिथि और पूजा का शुभ समय नीचे दिया गया है:
| विवरण | तिथि / समय |
| माघ शुक्ल पंचमी तिथि की शुरुआत | 22 जनवरी 2026 को देर रात 2:28 बजे |
| माघ शुक्ल पंचमी तिथि की समाप्ति | 23 जनवरी 2026 को देर रात 1:46 बजे |
| बसंत पंचमी (सरस्वती पूजा) | 23 जनवरी 2026 (उदया तिथि के अनुसार) |
| सरस्वती पूजन का शुभ समय | सुबह 7:12 बजे से दोपहर 12:32 बजे तक |
| पूजा के लिए कुल अवधि | 5 घंटे 20 मिनट |
इस शुभ मुहूर्त में माता सरस्वती की पूजा करने से विशेष शुभ फल प्राप्त होगा।
📖 सरस्वती पूजा मंत्र
बसंत पंचमी पर माता सरस्वती की उपासना के लिए कुछ विशेष मंत्र:
- या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वाग्देव्यै सरस्वत्यै नमः।
- ॐ अर्हं मुख कमल वासिनी पापात्म क्षयम्कारी
वद वद वाग्वादिनी सरस्वती ऐं ह्रीं नमः स्वाहा।
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ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः।
- ॐ वागदैव्यै च विद्महे
कामराजाय धीमहि।
तन्नो देवी प्रचोदयात्।
- सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा॥
- या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
- शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थितां।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥
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