पिथौरागढ़: पिथौरागढ़ के चामी गांव में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब थलकेदार के जंगल से निकलकर एक भालू अचानक आबादी क्षेत्र में जा पहुँचा। सुबह सवेरे भालू को देखकर ग्रामीणों में दहशत फैल गई।
🐻 भालू का रेस्क्यू
- स्थान: चामी गांव, पिथौरागढ़ रेंज।
- घटना: 30 अक्टूबर की सुबह भालू आबादी क्षेत्र के पास देखा गया, जिससे ग्रामीणों में हड़कंप मच गया।
- वन विभाग की कार्रवाई: सूचना मिलते ही वन प्रभाग की क्यूआरटी (क्विक रिस्पांस टीम) मौके पर पहुँची।
- रेस्क्यू ऑपरेशन: प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) आशुतोष सिंह के निर्देश पर रणनीति बनाई गई। करीब आधे घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद भालू को ट्रेंकुलाइज कर पिंजरे में कैद कर लिया गया।
- वर्तमान स्थिति: रेस्क्यू किए गए भालू को प्राथमिक उपचार के बाद पिथौरागढ़ रेंज स्थित गेस्टहाउस परिसर में निगरानी में रखा गया है।
⚠️ देरुखा गांव में भालू का हमला (पिछली घटना)
बीती 11 अक्टूबर को पिथौरागढ़ के मुनस्यारी विकासखंड के देरुखा गांव में दिनदहाड़े भालू ने एक अधेड़ पर हमला कर दिया था।
- पीड़ित: पुष्कर राम (51 वर्ष)।
- संघर्ष: पुष्कर राम पर भालू ने हमला कर उनके सिर, चेहरे और हाथ-पैरों पर गहरे घाव कर दिए थे। उन्होंने हौसला दिखाते हुए भालू से करीब तीन मिनट तक संघर्ष किया, जिसके बाद भालू जंगल की तरफ भाग गया।
- स्वास्थ्य: गंभीर रूप से घायल पुष्कर राम को सीएचसी मुनस्यारी में प्राथमिक उपचार के बाद हायर सेंटर रेफर किया गया था।
- मांग: घटना से डरे-सहमे निवासियों ने वन विभाग से वन्यजीवों के हमलों को रोकने के लिए उचित कदम उठाने के साथ ही घायल को मुआवजा देने की मांग की थी।
🛡️ भालू के हमले से बचाव के उपाय
वन विभाग और विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए कुछ उपाय:
- अकेले चलने से बचें: जंगल, चरागाह या पहाड़ी इलाकों में, खासकर सुबह और शाम को अकेले चलने से बचें, क्योंकि यह समय अधिक जोखिम भरा होता है।
- आवाज़ करें: बकरियां या गाय चराते समय या जंगल में चलते समय तालियाँ बजाएँ या जोर-जोर से आवाज़ करें। इससे भालू को पता चलता है कि इंसान आसपास है और वह दूर चला जाता है।
- शांत रहें: भालू का सामना होने पर पीछे हटना या भागना खतरनाक हो सकता है। शांत भाव से धीरे-धीरे पीछे हटें और भालू को घेरा महसूस न कराएं।
- स्थानीय जानकारी: स्थानीय वन कार्यालय, पुलिस या गांव के लोगों से उस इलाके में भालू के मूवमेंट या हाल के हमलों के बारे में जानकारी जरूर लें।
- तत्काल सहायता: यदि हमले का शिकार हो जाएं तो तत्काल मेडिकल सहायता लें और प्राथमिक उपचार के बाद वन विभाग को सूचना दें ताकि आगे का बचाव-प्रबंधन किया जा सके।
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