सोमवार को उत्तराखंड राज्य स्थापना की रजत जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित विधानसभा के विशेष सत्र में एक अनूठा दृश्य देखने को मिला। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उपस्थिति ने सदन को गरिमापूर्ण बनाया, वहीं सत्ता पक्ष और विपक्ष के तमाम विधायक पहाड़ी पारंपरिक परिधानों व आभूषणों में सदन में पहुँचे, जिससे पूरा माहौल उल्लास से परिपूर्ण था।
👗 सदन में दिखा पहाड़ी वेशभूषा का आकर्षण
विशेष सत्र के दौरान विधायकों ने उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति को दर्शाया:
- पुरुष विधायक: लगभग सभी मंत्री और विधायक, जिनमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी शामिल थे, धोती-कुर्ता और पहाड़ी टोपी पहने हुए थे।
- मुख्यमंत्री धामी धोती-कुर्ता और पहाड़ी टोपी में थे।
- विधायक दुर्गेश्वर लाल तो पूरी पारंपरिक वेशभूषा में सदन में पहुँचे थे।
- महिला विधायक: महिला विधायकों ने पारंपरिक आभूषणों और परिधानों से राष्ट्रपति का ध्यान खींचा।
- विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने पहाड़ी टोपी और कुमाऊं का पिछौड़ा पहना हुआ था।
- विधायक आशा नौटियाल, सरिता आर्य व रेणु बिष्ट ने टिहरी की नथ, गुलोबंद, और पिछौड़ा धारण किए हुए थे।
- राष्ट्रपति का परिचय: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी उत्तराखंड के इन पारंपरिक परिधानों व आभूषणों जैसे पहाड़ी टोपी, गुलोबंद, टिहरी की नथ, कुमाऊं का पिछौड़ा और जौनसार बावर क्षेत्र की पारंपरिक पोशाक से परिचित हुईं।
📜 सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री बने गवाह
राष्ट्रपति के इस ऐतिहासिक संबोधन को सुनने के लिए अनेक गणमान्य व्यक्ति विधानसभा की विशेष दीर्घा में उपस्थित रहे:
- पूर्व मुख्यमंत्री: भगत सिंह कोश्यारी (महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल), विजय बहुगुणा, तीरथ सिंह रावत।
- अन्य वरिष्ठ नेता: हरिद्वार सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल, राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल, डॉ. कल्पना सैनी, समेत अन्य अतिथि उपस्थित रहे।
विशेष सत्र होने के कारण राजनीतिक रसाकशी नहीं दिखी, बल्कि सदन का माहौल उत्तराखंड के गठन दिवस की खुशी और संस्कृति के सम्मान से भरा हुआ था।
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