नई दिल्ली: शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) और शिक्षा मंत्रालय ने मिलकर शिक्षक प्रशिक्षण की व्यवस्था को पूरी तरह बदलने की तैयारी कर ली है। 2025 से लागू होने वाले नए नियमों का सीधा असर उन सभी छात्रों पर पड़ेगा, जो बी.एड. या डी.एल.एड. करके शिक्षक बनने का सपना देख रहे हैं।
एक साथ दो कोर्स नहीं, 6 महीने की इंटर्नशिप अनिवार्य
नई व्यवस्था के तहत, अब छात्र एक साथ बी.एड. और डी.एल.एड. दोनों कोर्स नहीं कर पाएंगे। एक समय में सिर्फ एक ही कोर्स की इजाजत होगी ताकि पढ़ाई पर पूरा ध्यान दिया जा सके।
इन बदलावों में सबसे अहम और क्रांतिकारी कदम छह महीने की अनिवार्य इंटर्नशिप है। यह इंटर्नशिप केवल मान्यता प्राप्त स्कूलों में होगी, ताकि भावी शिक्षक कक्षा के वास्तविक माहौल और चुनौतियों को समझ सकें। अब सिर्फ किताबी ज्ञान से काम नहीं चलेगा, बल्कि वास्तविक अनुभव को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।
अब सिर्फ वैध डिग्री ही मान्य, आ रहा 1 साल का नया बीएड कोर्स
सरकार ने फर्जी और गैर-मान्यता प्राप्त संस्थानों की डिग्रियों को भी अमान्य घोषित कर दिया है। अब सिर्फ उन्हीं संस्थानों की डिग्री मान्य होगी, जिन्हें मान्यता प्राप्त है। इसके साथ ही, ऑनलाइन डिग्री का ‘खेल’ भी खत्म हो जाएगा। थ्योरी भले ही ऑनलाइन हो, लेकिन इंटर्नशिप, प्रैक्टिकल और ट्रेनिंग की क्लासें सिर्फ ऑफलाइन ही होंगी।
एक और बड़ा बदलाव 1 वर्षीय नया बी.एड. कोर्स है। यह कोर्स उन छात्रों के लिए होगा, जिन्होंने चार वर्षीय स्नातक या स्नातकोत्तर डिग्री पूरी कर ली है। यह कोर्स 2026-27 से शुरू होगा, जिसमें सामान्य वर्ग के लिए 50% और ईडब्ल्यूएस वर्ग के लिए 45% न्यूनतम अंक अनिवार्य होंगे। इस कोर्स में उम्र की कोई सीमा नहीं रखी गई है।
क्यों किया जा रहा है यह बदलाव?
शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि ये सुधार शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए जरूरी हैं। अब शिक्षक केवल सैद्धांतिक ज्ञान लेकर कक्षा में नहीं आएंगे, बल्कि उनके पास बच्चों को समझने और आधुनिक तकनीकों से पढ़ाने का असली अनुभव भी होगा। इन सुधारों का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि “सिर्फ किताबें नहीं, कक्षा का असली अनुभव ही बनाता है असली गुरु।”
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