उत्तराखंड में मोबाइल पर घंटों बिताने की आदत, विशेषकर रील्स देखने का चस्का, ऑनलाइन गेमिंग की लत, और सोशल मीडिया/शॉपिंग ऐप पर व्यस्तता लोगों को तेजी से मानसिक रूप से बीमार बना रही है। ऐसे लोग सिरदर्द, नींद में कमी, और चिड़चिड़ेपन जैसी समस्याओं का शिकार हो रहे हैं।
दून अस्पताल में बढ़े नेट एडिक्शन के मामले
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मानसिक रोग विभाग की एचओडी डॉ. जया नवानी ने बताया कि अस्पताल की दैनिक ओपीडी औसतन 100 तक पहुँच रही है।
- नेट एडिक्शन के शिकार: इनमें से 15 से 20 लोग नेट एडिक्शन (इंटरनेट की लत) के शिकार होते हैं।
- महिलाओं में रील्स की समस्या: महिलाओं में रील्स देखने की समस्या बढ़ी है। वे लाइक्स और कमेंट्स के चक्कर में ज्यादा समय सोशल मीडिया पर गुजार रही हैं।
- डॉक्टर की सलाह: ऐसे मरीजों को खेलकूद, योगा, व्यायाम और पुस्तकें पढ़ने की सलाह दी जा रही है।
मरीजों के उदाहरण
मरीज की उम्र | मुख्य समस्या | लत का कारण |
25 वर्षीय युवक | तनाव | ऑनलाइन गेमिंग में डेढ़ लाख रुपये गंवा दिए। |
40 वर्षीय महिला | सिरदर्द, नींद और भूख में कमी | रोजाना घंटों तक मोबाइल पर रील्स देखती हैं, बच्चे और घर के कामों पर ध्यान नहीं दे पा रही हैं। |
डिजिटल दुनिया में अकेलापन
मनोवैज्ञानिक डॉ. बिंदु छाबड़ा ने इस प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हम डिजिटल दुनिया से तो जुड़े हैं और सोशल मीडिया पर सैकड़ों दोस्त हैं, लेकिन भीतर से अधिक अकेले होते जा रहे हैं।
“हम लाइक, कमेंट में संतुष्टि खोज रहे हैं। तनाव, चिंता और अवसाद बढ़ रहा है। जैसे शरीर की देखभाल जरूरी है, उसी तरह मन की भी। डिजिटल स्क्रीन से ज्यादा रिश्ते और जीवन को महत्व दें।“
मानसिक स्वास्थ्य के लिए डॉक्टरों को बनाया जाएगा एक्सपर्ट
प्रदेश में आ रही आपदाओं और मानसिक स्वास्थ्य की बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए, स्वास्थ्य विभाग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब हर अस्पताल में डॉक्टरों को प्रभावितों के मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए एक्सपर्ट बनाया जाएगा।
- ट्रेनिंग: स्टेट मानसिक अस्पताल सेलाकुई में 17 अक्तूबर से इस ट्रेनिंग का आयोजन होगा, जिसमें बंगलौर निमहंस के विशेषज्ञ प्रशिक्षण देंगे।
- भागीदारी: सीएमओ डॉ. मनोज शर्मा ने बताया कि हर अस्पताल से एक डॉक्टर को इस ट्रेनिंग के लिए भेजा जाएगा।
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