उत्तराखंड: गांवों में रिवर्स पलायन की सकारात्मक तस्वीर, 5000 से ज्यादा लोग लौटे
देहरादून: पलायन का दंश झेल रहे उत्तराखंड के गांवों से अब एक सकारात्मक तस्वीर सामने आ रही है। पलायन निवारण आयोग की ओर से कराए जा रहे एक सर्वे में यह पता चला है कि पिछले सात सालों में 5,000 से भी ज़्यादा लोग बेहतर भविष्य की तलाश में पलायन करने के बाद अब अपने गांवों को लौट चुके हैं। ये सभी वापस आकर गांव में ही स्वरोजगार कर रहे हैं।
गांव में ही कर रहे हैं स्वरोजगार
सर्वे के अनुसार, जो लोग वापस लौटे हैं, वे गांव में रहकर ही विभिन्न रोजगारपरक गतिविधियों से जुड़ गए हैं। इनमें कृषि-बागवानी, होम स्टे, डेयरी, दुकान, पशुपालन और अन्य व्यवसाय शामिल हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर किया जा रहा यह सर्वे अभी भी जारी है, और अब तक के नतीजों से सरकार को उम्मीद जगी है।
आयोग शुरू करेगा संवाद, सरकार बदलेगी नीतियां
आयोग अब इन लौट चुके लोगों के अनुभवों को जानने और उनके सुझाव लेने के लिए जिलेवार संवाद की एक श्रृंखला शुरू कर रहा है। इसका पहला आयोजन मंगलवार से पौड़ी में होगा, जिसमें लगभग 800 लोग शामिल होंगे।
पलायन निवारण आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एस.एस. नेगी ने बताया कि इन संवादों के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपी जाएगी। इस रिपोर्ट की मदद से सरकार अपनी स्वरोजगारपरक नीतियों में जरूरी बदलाव करेगी, ताकि गांवों में रोजगार के और बेहतर अवसर पैदा किए जा सकें और रिवर्स पलायन की इस मुहिम को और गति मिल सके।
यह कदम ऐसे समय में उठाया जा रहा है, जब राज्य में 1,726 गांव पूरी तरह से जनविहीन हो चुके हैं और पलायन आज भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
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