उत्तराखंड राज्य गठन के 25 वर्ष (रजतोत्सव) पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित विधानसभा के विशेष सत्र को सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संबोधित किया। उन्होंने राज्य के लोगों को बधाई दी और कहा कि यह मौका जितना हर्षित करने वाला है, उतना ही बीते वर्षों का आकलन करने का भी है कि हमने प्रदेश के लिए क्या कुछ किया है।
🌟 रजत जयंती पर राष्ट्रपति का संदेश
- आकलन और जिम्मेदारी: राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड देश के मानचित्र पर तेजी के साथ उभरता राज्य है। इस रजतोत्सव पर सत्ता पक्ष एवं विपक्ष की जिम्मेदारी बनती है कि हम इस खूबसूरत राज्य को और सजाएँ और संवारें।
- विकास यात्रा की सराहना: उन्होंने कहा कि विगत 25 वर्षों की यात्रा के दौरान उत्तराखंड ने विकास के प्रभावशाली लक्ष्य हासिल किए हैं। पर्यावरण, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य-सेवा, शिक्षा, डिजिटल/फिजिकल कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के क्षेत्रों में राज्य ने सराहनीय प्रगति की है।
- मानव विकास सूचकांक: राज्य में साक्षरता बढ़ी है, महिलाओं की शिक्षा में विस्तार हुआ है, और मातृ एवं शिशु-मृत्यु-दर में कमी आई है।
🚺 महिला सशक्तिकरण की विशेष सराहना
राष्ट्रपति मुर्मू ने राज्य में महिला सशक्तिकरण के प्रयासों की विशेष सराहना की:
- गौरवशाली परंपरा: इन प्रयासों से सुशीला बलूनी, बछेन्द्री पाल, गौरा देवी, राधा भट्ट और वंदना कटारिया जैसी असाधारण महिलाओं की गौरवशाली परंपरा आगे बढ़ेगी।
- विधानसभा गौरव: श्रीमती ऋतु खंडूरी भूषण को राज्य की पहली महिला विधान सभा अध्यक्ष नियुक्त करके उत्तराखंड विधान सभा ने अपना गौरव बढ़ाया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि विधान सभा में महिलाओं की संख्या में और बढ़ोत्तरी होगी।
🛡️ शौर्य परंपरा और संवैधानिक प्रगति
- शौर्य परंपरा: उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की देव-भूमि से अध्यात्म और शौर्य की परम्पराएं प्रवाहित होती रही हैं। कुमांऊ रेजीमेंट और गढ़वाल रेजीमेंट के नाम से ही यहाँ की शौर्य परंपरा का परिचय मिलता है, जो सभी देशवासियों के लिए गर्व की बात है।
- यूसीसी की सराहना: उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने अनुच्छेद 44 के तहत ‘नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता’ का प्रावधान किया था। संविधान निर्माताओं की इसी भावना के अनुरूप उत्तराखंड विधानसभा द्वारा समान नागरिक संहिता विधेयक लागू करने की उन्होंने सराहना की।
- संसदीय प्रणाली: राष्ट्रपति ने उत्तराखंड लोकायुक्त विधेयक, उत्तराखंड जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था विधेयक तथा नकल विरोधी विधेयक सहित 550 से अधिक विधेयकों को पारित करने की सराहना की, जिससे पारदर्शिता और सामाजिक न्याय मजबूत हुआ है।
🌳 प्रकृति और भविष्य की दिशा
- ई-विधान: उन्होंने राष्ट्रीय ई-विधान एप्लीकेशन के शुभारंभ पर प्रसन्नता व्यक्त की, जिसके माध्यम से विधायक अन्य विधानसभाओं की बेस्ट प्रेक्टिस को अपना सकते हैं।
- मुख्य संदेश: “उत्तराखंड में अनुपम प्राकृतिक संपदा और सौन्दर्य विद्यमान हैं। प्रकृति के इन उपहारों का संरक्षण करते हुए, राज्य को विकास के मार्ग पर आगे ले जाना है।“
- अंतिम आह्वान: उन्होंने विधायकों से ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ की भावना के साथ राज्य तथा देश को विकास-पथ पर तेजी से आगे ले जाने का आग्रह किया।
💬 मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का स्वागत भाषण
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने स्वागत भाषण में राष्ट्रपति का आभार व्यक्त किया और कहा कि उनका मार्गदर्शन हम सबके लिए प्रेरणादायी है। उन्होंने राष्ट्रपति के व्यक्तित्व को संघर्ष, समर्पण और राष्ट्रसेवा का अनुपम उदाहरण बताया। मुख्यमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि यह दूसरा मौका है जब देश के राष्ट्रपति उत्तराखंड की विधानसभा को संबोधित कर रहे हैं, इससे पहले 18 मई 2015 को पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय प्रणव मुखर्जी ने विधानसभा को संबोधित किया था।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने अपने अभिभाषण में राज्य के 25 वर्षों को “आर्थिक समृद्धि, सुशासन, सामाजिक न्याय, महिला सशक्तिकरण और आधारभूत संरचना निर्माण का स्वर्णिम दौर” बताया।
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