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उत्तराखंड से प्रधानमंत्री मोदी का गहरा लगाव: रजत जयंती पर आगमन, विकास और आपदारोधी विजन पर फोकस

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उत्तराखंड राज्य गठन के 25 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आगमन महज एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि देवभूमि से उनके गहरे आध्यात्मिक और विकासपरक रिश्तों का प्रतीक है। अपने कार्यकाल के 11 वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी 16वीं बार उत्तराखंड आ रहे हैं, और हर बार वह आस्था, विश्वास के साथ विकास का नया संदेश लाते हैं। राज्य को अब तक एक लाख करोड़ से अधिक की विकास योजनाएं मिल चुकी हैं।


 

📅 पीएम मोदी के प्रमुख उत्तराखंड दौरे (2014-2025)

 

समयावधि मुख्य फोकस और परियोजनाएँ
2014-2019 आपदा से जूझते राज्य को नई दिशा: 2013 की भीषण आपदा के बाद केदारनाथ धाम का दौरा और पुनर्निर्माण कार्यों की समीक्षा। 2017 और 2019 में केदारनाथ दौरे पर हजारों करोड़ की परियोजनाओं को हरी झंडी दी। मई 2019 में रुद्र गुफा में ध्यान कर आध्यात्मिक पर्यटन को नई पहचान दी।
2021 राज्य को मिली ₹18,000 करोड़ की सौगात: 4 दिसंबर 2021 को देहरादून में लगभग ₹18,000 करोड़ की 18 से अधिक परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इनमें देहरादून-दिल्ली एक्सप्रेसवे, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना, नई एयरपोर्ट टर्मिनल बिल्डिंग और स्मार्ट सिटी योजना शामिल थे।
2023 निवेश के नए युग की शुरुआत: दिसंबर 2023 में देहरादून में आयोजित वैश्विक निवेशक सम्मेलन में “नया उत्तराखंड-आत्मनिर्भर भारत” का नारा दिया। इस मौके पर तीन लाख करोड़ से अधिक के निवेश समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
2025 खेल, पर्यटन और आपदा राहत पर फोकस: जनवरी 2025 में देहरादून से 38वें राष्ट्रीय खेलों का शुभारंभ किया और खेल अवसंरचना के लिए ₹2,000 करोड़ की परियोजनाएं घोषित कीं। मार्च 2025 में मुखबा से विंटर टूरिज्म की शुरुआत की। सितंबर 2025 में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे कर ₹1,200 करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की।

 

🎯 रजत जयंती पर फोकस: आपदारोधी विकास मॉडल की आस

 

राज्य स्थापना की रजत जयंती पर प्रधानमंत्री मोदी आज देहरादून पहुंचेंगे। यह माना जा रहा है कि वे इस पावन अवसर पर राज्य के विकास के अगले दशक का विजन डॉक्युमेंट जारी करेंगे।

आपदारोधी विकास की अपेक्षा:

भीषण बारिश और भूस्खलन से प्रभावित उत्तराखंड को अब आपदा-रोधी विकास मॉडल की सबसे बड़ी जरूरत महसूस हो रही है। राज्य को प्रधानमंत्री से सबसे बड़ी उम्मीद यही है कि:

  • केंद्र आने वाले वर्षों में एक आपदारोधी विकास नीति का खाका दे।
  • इस नीति में राज्य की भौगोलिक और जलवायु स्थितियों को विशेष रूप से ध्यान में रखा जाए।
  • विकास परियोजनाओं को पर्यावरणीय सुरक्षा, वैज्ञानिक योजना और भौगोलिक अध्ययन से जोड़ा जाए, जिससे विकास और प्रकृति के बीच संतुलन बना रहे।

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