शास्त्रों में द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है। वैदिक पंचांग के अनुसार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है।
इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा- अर्चना की जाती है। वहीं रात के समय में चंद्रोदय होने पर चंद्रमा की पूजा करते हैं और अर्घ्य देने का विधान है। साथ ही उसके बाद पारण करके द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूरा करते हैं। आपको बता दें कि द्विजप्रिय संकष्टी 28 फरवरी को मनाई जाएगी और इस दिन दो शुभ योग भी बन रहे हैं। वहीं ज्योतिष में कुछ उपायों का वर्णन मिलता है, जिनको इस दिन करने से गणेश जी प्रसन्न हो सकते हैं। साथ ही आपको धन- समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है। आइए जानते हैं ये उपाय कौन से हैं…
घर लेकर आएं चांदी के गणेश
अगर आपके घर में सुख- शांति का अभाव हो और घर के सदस्यों में कलह होती हो तो आप संकष्टी चतुर्थी के दिन अगर पर चांदी के धातु के गणेश जी घर लेकर पाएं। साथ ही फिर उनका पूजन करें और गणेश जी को हल्टी 5 गांठ अर्पित करें। ऐसा करने से घर में खुशी का माहौल बनेगा। साथ ही सुख- समृद्धि की होगी प्राप्ति।
धारण करें गणेश रुद्राक्ष
अगर आपके बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता हो तो इस दिन गणेश रुद्राक्ष को बाजार से खरीदकर लाएं। साथ ही रुद्राक्ष को शिवलिंग पर स्पर्श करके बच्चे के गले में धारण कराएं। ऐसा करने से बच्चे की याददाश्त अच्छो होगी। साथ ही बच्चे का बौद्धिक विकास होगा।
दान करें ये वस्तुएंं
इस दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों को वस्त्र और खाने की वस्तुएं दान करें। ऐसा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होंगे। साथ ही सुख- समृद्धि की प्राप्ति होगी। वहीं इच्छाओं की पूर्ति होगी।
करियर और कारोबार में मिलेगी सफलता
अगर आपको करियर और कारोबार में सफलता नहीं मिल रही हो तो इस दिन गणेशजी को 21 दूर्वा की गांठ के साथ गुड़ के लड्डू का भोग लगाएं। इस उपाय को करने से आपको करियर और कारोबार में तरक्की के योग बनेंगे।
मनोकामना की पूर्ति के लिए
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के गणेश जी को लाल फूल और दूब घास अर्पित करें। ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामना पूर्ण होंगी। साथ ही घन में वृद्धि के योग बनेंगे।
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