हिमालय प्रहरी

7 सितंबर से शुरू होंगे श्राद्ध पक्ष, चंद्र ग्रहण के कारण पूर्णिमा का श्राद्ध दोपहर से पहले

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इस वर्ष श्राद्ध पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से होगी, जो 21 सितंबर तक चलेंगे। इस बार श्राद्ध पक्ष के पहले ही दिन चंद्र ग्रहण भी लग रहा है, जिससे पूर्णिमा का श्राद्ध दोपहर से पहले करना होगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की स्थित श्री सरस्वती मंदिर के आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि तिथियों में बदलाव के कारण इस बार पंचमी और षष्ठी का श्राद्ध एक ही दिन 12 सितंबर को किया जाएगा।


 

क्या है श्राद्ध पक्ष का महत्व?

 

माना जाता है कि श्राद्ध पक्ष में यमराज की आज्ञा से पितृ पृथ्वी पर निवास करते हैं और अपने स्वजनों से श्राद्ध की आशा करते हैं। पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने को ही श्राद्ध कहा जाता है। इस दौरान श्राद्ध कर्म, ब्राह्मण भोजन, तर्पण और पिंडदान जैसे कार्य करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। आचार्य शुक्ल के अनुसार, जो लोग श्राद्ध नहीं करते, उन्हें इसका प्रतिकूल प्रभाव झेलना पड़ता है।


 

ग्रहण के सूतक काल का क्या होगा असर?

 

इस साल 7 सितंबर को लगने वाला चंद्र ग्रहण रात्रि में होगा। ग्रहण का समय रात लगभग 9:50 बजे से 1:25 बजे तक रहेगा, इसलिए श्राद्ध में इसका कोई व्यवधान नहीं पड़ेगा। हालांकि, ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले यानी दोपहर लगभग 12:50 बजे से ही शुरू हो जाएगा। इसलिए, पूर्णिमा का श्राद्ध सूतक लगने से पहले ही संपन्न करना होगा।


 

श्राद्ध पक्ष 2025: जानें किस दिन होगा कौन-सा श्राद्ध

 

  • 7 सितंबर: पूर्णिमा का श्राद्ध (दोपहर 12:50 से पहले)
  • 8 सितंबर: प्रतिपदा का श्राद्ध
  • 9 सितंबर: द्वितीया का श्राद्ध
  • 10 सितंबर: तृतीया का श्राद्ध
  • 11 सितंबर: चतुर्थी का श्राद्ध
  • 12 सितंबर: पंचमी एवं षष्ठी का श्राद्ध
  • 13 सितंबर: सप्तमी का श्राद्ध
  • 14 सितंबर: अष्टमी का श्राद्ध
  • 15 सितंबर: नवमी/मातृ नवमी (सौभाग्यवती स्त्रियों का श्राद्ध)
  • 16 सितंबर: दशमी का श्राद्ध
  • 17 सितंबर: एकादशी/संन्यासियों का श्राद्ध
  • 18 सितंबर: द्वादशी का श्राद्ध
  • 19 सितंबर: त्रयोदशी का श्राद्ध
  • 20 सितंबर: चतुर्दशी (अकाल मृत्यु/दुर्घटना में मृत व्यक्तियों का श्राद्ध)
  • 21 सितंबर: अमावस्या/ज्ञात-अज्ञात पितरों का श्राद्ध, पितृ विसर्जन
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