हिमालय प्रहरी

बिन्दुखत्ता को अतिक्रमण की सूची से बाहर करने और अति शीघ्र राजस्व गांव बनाए जाने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरा विशाल जनसैलाब, हाथों में तिरंगा और तख्ती लिए हजारों की तादाद में रैली में शामिल हुए युवाओं ,बुजुर्गों एवं महिलाओं ने राजस्व गांव बनाए जाने की करी मांग

खबर शेयर करें -
राजू अनेजा, लाल कुआं। जिला प्रशासन द्वारा बिन्दुखत्ता को अतिक्रमण की सूची में जारी करने के बाद क्षेत्र में मची उथल-पुथल में एक बार फिर  बिन्दुखत्ता को राजस्व गांव बनाए जाने की मांग को बल दे दिया है जिसको लेकर हजारों की तादाद में ग्रामीणों ने लाल कुआं में विशाल रैली निकालकर केंद्र व प्रदेश से बिन्दुखत्ता को अतिक्रमण की सूची से बाहर निकाल कर अति शीघ्र  राजस्व गांव बनाने की मांग की। लाल कुआं की सड़कों पर उमड़े जनसैलाब में युवा बुजुर्ग के साथ ही भारी तादाद में मातृशक्ति भी मौजूद रही।
बुधवार को बिन्दुखत्ता संघर्ष समिति के बैनर तले जड़ सेक्टर में हजारों की तादाद में एकत्रित हुए बिन्दुखत्ता के ग्रामीणों ने बिन्दुखत्ता को अति शीघ्र राजस्व गांव बनाए जाने की मांग को लेकर एक विशाल जनसभा आयोजित की। जिसमें वक्ताओं ने केंद्र व प्रदेश सरकार से बिंदुखत्ता को राजस्व गांव का दर्जा देने की प्रक्रिया तत्काल शुरू करने और सभी वन भूमि में बसे खत्तों, गुर्जरों, गोठ खत्तों का नियमितीकरण किए जाने की मांग उठाई ।
उन्होंने कहा कि, “अपने अधिकारों के लिए एकताबद्ध संघर्ष बिंदुखत्ता की पहचान रही है, यहां की जनता ने अपना अस्तित्व संघर्ष के बल पर कायम किया है, और संघर्ष के जरिए ही सुविधाएं हासिल की हैं और जन संघर्ष के जरिए ही राजस्व गांव की लड़ाई भी जीती जायेगी। इसके लिए बिंदुखत्ता की जनता एकताबद्ध होकर एक बार फिर कमर कस रही है।
उन्होंने कहा कि, “भाजपा सरकार और स्थानीय विधायक वनाधिकार कानून 2006 के जरिए राजस्व गांव बनाने के नाम पर जनता को भ्रमित कर रहे हैं। जबकि वनाधिकर कानून स्पष्ट रूप से 13 दिसंबर 2005 से पहले 75 साल या तीन पीढ़ी से लगातार वन भूमि पर रह रहे वनों पर आश्रित आदिवासी, अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन वासियों पर लागू होता है। इसलिए विधायक और भाजपा सरकार को वनाधिकार कानून नहीं बल्कि राजनैतिक इच्छाशक्ति दिखाते हुए राज्य की विधानसभा से यहां की वन भूमि को डिसफॉरेस्ट करने का प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार को भेजने का काम प्राथमिकता से करना चाहिए।
वक्ताओं ने स्पष्ट कहा कि उनकी  लड़ाई सरकार अथवा किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं है उनकी लड़ाई बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने के लिए है उनका आंदोलन सिर्फ और सिर्फ बिंदुखत्ता को अतिशीघ्र राजस्व गांव का दर्जा दिए जाने के लिए हो रहा है। जिसके बाद ग्रामीणों ने लाल कुआं में विशाल रैली निकाली।  रैली में हजारों की तादाद में क्षेत्र के युवा बुजुर्ग एवं महिला शक्ति अपने हाथों में तख्ती लेकर सरकार से बिन्दुखत्ता को राजस्व गांव बनाए जाने की मांग करते नजर आए।
इस दौरान कई ग्रामीणों ने देश की आन बान शान का प्रतीक तिरंगा  थामें हुए थे और भारत माता की जय के जोरदार नारे लगा रहे थे पूरे नगर में घूमने के बाद तहसील परिसर पहुंचे ग्रामीणों ने उप जिलाधिकारी मनीष कुमार के माध्यम से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन प्रेषित करते हुए अभिलंब बिन्दुखत्ता को अतिक्रमण की सूची से निकालकर राजस्व गांव बनाए जाने की मांग की। इस अवसर पर मुख्य रूप से पूर्व मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरेंद्र बोरा राजेंद्र सिंह खनवाल संध्या डालाकोटी कैप्टन इंदर सिंह हरीश बिसोती गिरधर बम खुशाल सिंह मेहता प्रकाश उत्तराखंडी हेम जोशी चंद्रशेखर जोशी हेमवती नंदन दुर्गापाल बिशन दत्त जोशी प्रदीप बथ्याल कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष पुष्कर सिंह दानू कमल दानू देवी दत्त पांडे भगवान सिंह धामी सरस्वती ऐरी मोहनी मेहता केदार सिंह दानू गुरदयाल सिंह मेहरा मोहन अधिकारी  विमला रौथाण कैलाश पांडे बहादुर सिंह जंगी किशन सिंह कुंदन मेहता खड़क सिंह मेहता नवीन भट्ट राधा दानू उर्मिला धामी हरुली देवी फुला देवी विमला जोशी कलावती धना देवी पार्वती देवी जमुना देवी ममता भट्ट रमेश कुमार मोहन कुड़ाई प्रभात पाल नीरज नारायण पंडित पूरन गौतम मनोज बिष्ट संजय टाकुली लक्ष्मण नैनवाल राजपाल प्रमोद कॉलोनी राकेश लक्ष्मण धपोला भुवन जोशी अमित बोरा विजय सामंत राम आसरे नैन सिंह नेगी गोपाल नेगी वीरेंद्र दानू चंदन बोरा इंदु राजभर हेमा आर्य राजेंद्र चौहान पवन बिष्ट मंतोष कुमार रामू बिष्ट हर्ष बिष्ट देव सिंह दानू  समेत हजारों की संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे
Exit mobile version