पति ने पत्नी की जगह सास को बनाया था नॉमिनी, कोर्ट ने विधवा के अनुकंपा नियुक्ति के दावे पर विचार करने का दिया आदेश
नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया, जहाँ एक मृत कर्मचारी की विधवा का अनुकंपा नियुक्ति (Compassionate Appointment) का दावा फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने सिर्फ इसलिए खारिज कर दिया था क्योंकि पति ने अपनी सास का नाम नॉमिनी के तौर पर रजिस्टर कराया था।
विधवा ने इस फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
🏛️ हाईकोर्ट का निर्देश
जस्टिस मनोज कुमार तिवारी की सिंगल जज बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को निर्देश दिया:
“चूंकि डिपार्टमेंट ने मृतक कर्मचारी की जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) रकम का एक हिस्सा पहले ही उसकी विधवा को दे दिया है, इसलिए उसे कर्मचारी की पत्नी के तौर पर मान्यता दी जानी चाहिए।”
कोर्ट ने कहा कि कानून के मुताबिक, डिपार्टमेंट अब तीन महीने के अंदर अनुकंपा नियुक्ति के दावे पर विचार कर फैसला करे।
📜 मामले की पृष्ठभूमि
- मृतक कर्मचारी: किशन सिंह धपोला, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में वॉचमैन के पद पर कार्यरत थे। 2020 में सर्विस के दौरान उनकी मौत हो गई।
- याचिकाकर्ता का दावा: विधवा ने अनुकंपा नियुक्ति, फैमिली पेंशन और अन्य सर्विस बेनिफिट्स की मांग की थी।
- राज्य सरकार का तर्क:
- याचिकाकर्ता और उसके पति के बीच रिश्ते खराब थे, और याचिकाकर्ता ने पहले मेंटेनेंस (भरण-पोषण) का केस भी फाइल किया था।
- डिपार्टमेंट ने अनुकंपा नियुक्ति से इनकार कर दिया क्योंकि धपोला के सर्विस रिकॉर्ड में पत्नी के बजाय सास का नाम नॉमिनी के तौर पर लिखा था।
- राज्य सरकार की स्वीकृति: राज्य सरकार ने माना कि GPF अमाउंट का एक हिस्सा याचिकाकर्ता (पत्नी) को दिया गया था।
✅ कोर्ट का निष्कर्ष
हाईकोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि, जब डिपार्टमेंट ने GPF अमाउंट का एक हिस्सा रिलीज़ करके याचिकाकर्ता को धपोला की पत्नी माना था, तो उसके अनुकंपा नियुक्ति के दावे पर भी विचार किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता के अनुकंपा नियुक्ति के दावे का रिव्यू करे और तीन महीने के अंदर कानून के मुताबिक सही ऑर्डर पास करे।
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