मोहर्रम कर्बला की जंग में हजरात इमाम की जंग का प्रतीक है। शिया समुदाय के लिए ये दिन खास होता है और पैगंबर हजरत मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत को याद करते हुए इसे मनाया जाता है।
इस अवसर पर लोग अपने घरों में हलीम बनाते हैं और इसे अपने रिश्तेदारों और गरीबों में बांटते हैं। तो, आइए सबसे पहले जानते हैं हलीम क्या है, मोहर्रम पर हलीम क्यों बनता है और इसकी रेसिपी क्या है।
हलीम क्या है
हलीम मांस और अनाज का मिश्रण है। इसमें 7 अनाजों का इस्तेमाल होता है। ऐसा माना जाता है कि कर्बला की जंग में हजरात इमाम की फौज का खाना खत्म हो गया था तब उन्होंने आखिरी भोजन के रूप में हलीम खाया था जो कि बचे हुए अनाज और मांस को मिलाकर बना था। तब से मोहर्रम के दिन इसे बनाया जाता है और फिर फातिहा लगाई जाती है। इस दौरान हजरत ईमाम हुसैन के नाम की फातिहा लगाकर हलीम उनके अकीदतमंदों को खिलाया जाता है। अब आइए, जानते हैं इसकी रेसिपी।
हलीम किस चीज से बनता है-
सामग्री
-गेहूं
-चावल
-उड़द दाल
-चना दाल
- -लोबिया (बीन्स)
-मूंग दाल
-लाल मसूर दाल - -हल्दी पाउडर
- -नमक
- -तेज पत्ता
-1/2 किलो मटन
-लाल मिर्च पाउडर
-धनिया पाउडर - गरम मसाला पाउडर
-2 बड़े चम्मच अदरक-लहसुन का पेस्ट
-2 प्याज
-चम्मच नमक
-1 कप सरसों का तेल
हलीम बनाने का तरीका-
-सबसे पहले 7 अनाज जैसे गेहूं, चावल, उड़द दाल, चना दाल, लोबिया, मूंग दाल और लाल मसूर दाल को रात में भिगोकर रखना होता है।
-इसके बाद सुबह इन्हें कुकर में डालकर हल्दी, 1 तेज पत्ता और नमक के साथ सीटी लगा लें।
-अब मटन में हल्दी, धमनिया, लाल मिर्च पाउडर, गरम मसाला प्याज, अदरक- लहसुन का पेस्ट और नमक मिलाकर रख लें।
-अब इसे एक और कुकर में डालकर पानी के साथ मिला लें। ऊपर से सरसों का तेल डालें और पका लें।
-जब दोनों ही चीजें पक जाएं चो मांस वाले कुकर में जो ऊपर तेल नजर आए उसे निकाल लें। इसे रोगन कहते हैं जिसे हलीम के ऊपर अंत में सजाया जाता है।
-अब मांस और अमाज दोनों को मिलाकर घोंट लें और गाढ़ी खिचड़ी जैसा बना लें।
-अब इसे एक प्लेट में निकालें, धनिया पत्ता डालें और चाहें तो भूना हुआ प्याज डालें। अब रोगन डालें और फिर सर्व करें।