उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित विधानसभा के विशेष सत्र में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की। उन्होंने इस 25 वर्ष की विकास यात्रा को पहाड़ के नजरिए से देखने की आवश्यकता पर बल दिया और राज्य के सामने खड़ी चुनौतियों को सामने रखा।
🏛️ राज्य निर्माण और राजनीतिक योगदान
यशपाल आर्य ने कहा कि उत्तराखंड किसी एक दल ने नहीं बनाया, बल्कि सबने मिलकर बनाया है। उन्होंने राज्य निर्माण के इतिहास में विभिन्न दलों और नेताओं के योगदान को याद किया:
- कांग्रेस का योगदान: श्रीनगर में कांग्रेस अधिवेशन, तत्कालीन नेता प्रताप सिंह नेगी, नरेंद्र सिंह बिष्ट या राजा मानवेन्द्र शाह का संघर्ष। दिल्ली में प्रदर्शन और सोनिया गांधी के नेतृत्व में समिति का गठन।
- अटल सरकार का सहयोग: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में विधेयक पारित हुआ, लेकिन उन्होंने कहा कि केंद्र में बहुमत न होने पर कांग्रेस के 112 सदस्यों ने समर्थन दिया, जिससे यह विधेयक पारित हो सका।
⚠️ सरकार पर प्रमुख आरोप और आलोचना
नेता प्रतिपक्ष ने वर्तमान सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए:
- अधिकारियों की निरंकुशता: उन्होंने कहा कि प्रदेश में अधिकारी बेलगाम और निरंकुश हो गए हैं। शराब माफिया और भू माफिया को अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है। जनप्रतिनिधि व मंत्रियों के फोन तक नहीं उठाए जा रहे हैं।
- कानून व्यवस्था पर सवाल: उन्होंने नैनीताल जिला पंचायत चुनाव का उदाहरण दिया, जहाँ उनके छह सदस्यों को बंदूक के बल पर उठा लिया गया और उन्हीं पर मुकदमे दर्ज किए गए। उन्होंने ऐसे अधिकारियों को संरक्षण देने के लिए सरकार की आलोचना की।
- कर्ज में डूबा राज्य:
- कर्ज वृद्धि: 2017 में राज्य पर ₹40,000 करोड़ का कर्ज था, जो वर्ष 2025 में एक लाख करोड़ पार हो गया है। सरकार हर माह ₹200 से ₹300 करोड़ का कर्ज बाजार से ले रही है।
- राजस्व: 2016-17 में 19.50% राजस्व वृद्धि दर थी, जो अब घटकर 11% रह गई है।
- बेरोजगारी और पलायन (सबसे बड़ी चिंता):
- पलायन आयोग की रिपोर्ट: राज्य निर्माण के बाद से अब तक 35 लाख लोग पलायन कर चुके हैं।
- कारण: 55% रोजगार, 15% शिक्षा और 10% लचर स्वास्थ्य सेवाओं की वजह से पलायन हुआ।
- बेरोजगारी: राज्य में 15 लाख बेरोजगार हैं, जबकि केवल एक लाख से ऊपर पद रिक्त हैं।
- वीरान गांव: 1200 गांव वीरान हो चुके हैं, और कई गांव ‘घोस्ट विलेज’ घोषित हो चुके हैं।
- यूसीसी पर सवाल: उन्होंने अनुसूचित जनजाति (SC महिलाओं) को यूसीसी (UCC) से बाहर रखने पर सवाल उठाया और कहा कि क्या वे लैंगिक समानता की अधिकारी नहीं हैं।
- आपदा और उत्सव: उन्होंने सरकार के आपदा प्रबंधन की आलोचना की और कहा कि यह उत्सव मनाने और कॉमेडी शो आयोजित करने का समय नहीं था, बल्कि पीड़ितों के आँसू पोंछने का समय था।
यशपाल आर्य ने अंत में कहा कि नौजवान सड़कों पर हैं और यह तस्वीर बदलने की जरूरत है। उन्होंने चेतावनी दी कि वक्त बदलेगा और सबका हिसाब किया जाएगा।
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