बताते चलें कि शराब की दुकानों पर ओवर रेटिंग की शिकायतें आम हैं। परंतु 2023 में धामी सरकार द्वारा नई आबकारी नीति में इस पर लगाम लगाने के लिए खास प्रावधान किया गया है। अगर किसी दुकान की पांच बार एमआरपी से अधिक वसूली की शिकायत आई तो उसका लाइसेंस सस्पेंड कर दिया जाएगा। वही नई नीति के तहत अब से प्रदेश में बिकने वाली रेगुलर ब्रांड की शराब की कीमतों में उत्तर प्रदेश के मुकाबले प्रति बोतल 20 रुपये से ज्यादा का अंतर नहीं होगा. जबकि पहले ये अंतर बहुत ज्यादा था. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद आबकारी सचिव हरिचंद्र सेमवाल ने बताया कि पहले कीमतों में यह अंतर प्रति बोतल 150 से 200 रुपये का था, जिसकी वजह से यूपी बॉर्डर से भारी मात्रा में शराब की तस्करी होती थी. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश से हो रही शराब की तस्करी की रोकथाम के लिए इस अंतर को कम करने का निर्णय लिया गया है।
प्रति बोतल 3 रुपये लिया जाएगा उपकर –
प्रति बोतल तीन रुपये महिला कल्याण, युवा कल्याण व खेल विभाग और गौवंश संरक्षण के लिए बतौर सेस वसूला जाएगा। यानी हर विभाग को प्रति बोतल शराब की बिक्री पर एक रुपया मिलेगा। एक अनुमान के अनुसार, चार से पांच लाख बोतल शराब प्रतिदिन बिकती है। इस हिसाब से प्रत्येक विभाग को हर महीने एक से डेढ़ करोड़ राजस्व मिलने की उम्मीद है। आबकारी सचिव ने कहा कि नई आबकारी नीति में यूपी और उत्तराखंड में शराब की कीमतों के अंतर में कमी आने से न केवल शराब तस्करी पर रोक लगाई जा सकेगी बल्कि राज्य सरकार को भी अधिक राजस्व प्राप्त हो सकेगा. हरिचंद्र सेमवाल ने कहा कि नई आबकारी नीति के अंतर्गत प्रदेश में गोवंश संरक्षण, खेलकूद एवं महिला कल्याण के लिए प्रति बोतल एक-एक रुपये का उपकर लिया जाएगा और इस प्रकार एक बोतल पर कुल तीन रुपये का उपकर लिया जाएगा।