आपको बताते चले कि
देश की सेवा करने के बाद लाल कुआं की सक्रिय राजनीति में कदम रख कम उम्र में ही जनता की सेवा करने का मन बनाने वाले फौजी भाई ने सुरेंद्र कुमार लॉटनी ने लाल कुआं के चुनावी रण में दो दो हाथ आजमाने के लिए भाजपा से सिंबल मांगा था परन्तु
पहली बार पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित हुई लाल कुआं सीट पर भाजपा से कई दावेदारो द्वारा टिकट की मांग करने वालों की लंबी फ़ौज में सुरेंद्र टिकट लाने में नाकामयाब हासिल हुए और प्रेमनाथ पंडित को भाजपा से टिकट मिल गया परंतु फौजी भाई के दिल में जनता की सेवा करने का सपना उनके हौसलों को डिगा नहीं पाया और आखिरकार निर्दलीय रूप से लाल कुआं के चुनावी घमासान में अपने युवा टीम को लेकर कूद पड़े। कम समय में ही पूरे शहर की लोकप्रियता पाने में कामयाब हुए फौजी भाई ने लाल कुआं में ऐसा माहौल बनाया कि भाजपा कांग्रेस जैसे बड़े दलों को नकार कर लाल कुआं की जनता लोटनी के साथ खड़ी आयी ।लगातार लौटनी के बढ़ते कदम को रोकने के लिए भाजपा और कांग्रेस के कद्दावर नेताओं ने अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए काफी पसीना बहाया परंतु दोनों दलों की धनबल और चाणक्य नीति फौजी भाई की बुलंदी को रोक नहीं पाई ।