
- संक्रांति और शिवरात्रि पर हर साल निभाई जाती है परंपरा
- अपशगुन दूर करने के लिए लोग निभा रहे हैं परंपरा
आज भले ही हम 21वीं सदी में जी रहे हैं लेकिन हमारे आस-पास अब भी कुछ भी ऐसी परंपराएं (Tradition) हैं, जिनके बार में सुनकर आपको भरोसा नहीं होगा। आप सोच में पड़ जाएंगे कि आज के दौर में भी ऐसी बातों पर यकीन किया जाता है। भारत के हर राज्य में कुछ पुराने रीति-रिवाज निभाए जाते हैं। उन्हीं में से एक है ओडिशा के एक गांव की अजीबो- गरीब शादी की परंपरा जिसे सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे। यह अजीबो – गरीब शादी इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में बनी हुई है। दरअसल यहां दो बच्चों की शादी मादा कुत्ते से कराई गई है।
घटना ओडिशा के मयूरभंज जिले के गंभारिया गांव की है। इस गांव के लोग आदिवासी है। ऐसा नहीं है इस तरह की शादी केवल इसी गांव में होती है। आस-पास के गांव मे रहने वाले लोग भी इसी तरह की परंपरा को अब भी निभा रहे हैं। यह रिवाज ज्यादातर क्षेत्र के हो (Ho) जनजाति के लोगों में प्रचलित है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, हो (Ho) जनजाति में अगर बच्चों के ऊपर के दांत पहले आ जाएं तो कुत्तों से शादी करने की परंपरा है। ऊपर के दांत पहले आने पर “अपशगुन” माना जाता है। ऐसे में अगर किसी लड़के में ऊपर के दांत पहले आएं तो मादा और लड़की हो तो नर कुत्ते के बच्चे के साथ उसकी शादी की जाती है। बीते शुक्रवार को जिले के सुकरौली ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले गम्भरिया गांव में ऐसा ही एक मामला सामने आया है। जहां दो परिवारों ने अपने बेटों की शादी एक मादा कुत्ते से कर दी, क्योंकि दोनों बच्चों में ऊपर के दांत आना शुरू हो गए थे।
डेबेन चत्तर और नोरेन पूर्ति ने इस अपशगुन को दूर करने के लिए इस परंपरा को निभाया है। यह परंपरा मकर संक्रांति से शिवरत्रि के बीच पूरी की जाती है। इस समुदाय में यह परंपरा कई पीढ़ियों से चल रही है। पूर्ति ने गांव में अपने बेटे का “विवाह” समारोह आयोजित किया। इसमें दोनों बच्चों को दूल्हा और मादा कुत्ते को दुल्हन के रूप में ट्रीट किया गया। इस समारोह में गांव के अन्य लोग भी शामिल हुए।
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