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हल्द्वानी : जब जब धरा पर पाप बढ़ता है तब तब दुष्टों का संहार करने अवतार लेते है भगवान – पंडित नीरज त्रिपाठी

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हल्द्वानी: कठघरिया क्षेत्र में घुनी नंबर एक शिव मंदिर के पास चल रही सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तृतीय दिवस में परम पूज्य व्यास देव नीरज चंद त्रिपाठी ने भगवान के चौबीस अवतारों की कथा समेत कई रोचक प्रशंग सुनाए।

इस दौरान उन्होंने समुद्र मंथन की बहुत ही रोचक एवं सारगर्भित कथा सुनाते हुए कहा कि यह संसार भगवान का एक सुंदर बगीचा है। यहां चौरासी लाख योनियों के रूप में भिन्न- भिन्न प्रकार के फूल खिले हुए हैं। जब-जब कोई अपने गलत कर्मो द्वारा इस संसार रूपी भगवान के बगीचे को नुकसान पहुंचाने की चेष्टा करता है तब-तब भगवान इस धरा धाम पर अवतार लेकर सज्जनों का उद्धार और दुर्जनों का संहार करते हैं। समुद्र मंथन की कथा सुनाते हुए कहा कि मानव हृदय ही सागर है। मनुष्य के अच्छे और बुरे विचार ही देवता और दानव के द्वारा किया जाने वाला मंथन है। कभी हमारे अंदर अच्छे विचारों का चिंतन चलता रहता है तो कभी बुरे विचारों का मंथन चलता रहता।
देर सांय आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया। इस अवसर पर चंपा बिष्ट, प्रेम बिष्ट, नंदी अधिकारी, अमृता देवी, हेमा रजवार, चंपा खाती, रूपा नैनवाल, माधवी अधिकारी, गोपाल सिंह, राजेंद्र रजवार, हर्षवर्धन पांडे, हेम पंत, हेम सत्यवली, धीरज कनवाल, पंकज पंत, रुपेश जोशी, संगीता, ममता गुणवंत समेत कई लोग मौजूद थे।

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