यह कविता मैंने अपने 21 वे जन्मदिन के अवसर पर अपने विद्यालय की याद पर लिखी है
*यह मेरी पहली विदाई*
यह कैसी मेरी विदाई
ना ढोल है ना शहनाई
मेरी यह है अद्भुत विदाई
7 साल कैसे बीते पता नहीं
यह तो मेरे लिए सा दिन के समान हो गया
वह 50 शिक्षकों का आशीर्वाद
वह 18 दोस्तों का साथ
मुझे इस विद्यालय से शिक्षा नहीं
शिक्षा से भी बड़ा धन मिला
आई.एस से हमें मिलाया
आई.पीएस से हमें मिलाया
M.L.A से हमें मिलाया
M.P से हमें मिलाया
NGO से भी हमको मिलाया
नाम है अधिक समय होगा कम
कैसे धन्यवाद कहूं गुरुजनों को
क्योंकि मेरी यह अद्भुत विदाई
हंसता खिलता एक परिवार मिला
जिसमें ज्ञान की बात और अपने मंजिल को पाने का एक रास्ता मिला
किस-किस गुरुजनों का नाम लेकर धन्यवाद करो
नाम है अधिक समय है बिल्कुल सटीक
कैसे धन्यवाद कहूं उनको
क्योंकि यह मेरी अद्भुत विदाई
दोस्तों की भी कहानी अद्भुत है
कैसे भी थे वह मेरे सच्चे दोस्त थे
एक पल में हंसते थे दूसरे पल में झूम जाते थे
बहुत दोस्तों को गुप्त नाम से पुकाराना
वह दोस्तों को एक दूसरे के ऊपर पानी और चौक से खेलते हुए देखना
वह हिंदी वाले गुरु का हिंदी पढ़ना
वह योग वाले शिक्षक का योगा करना
वह शिक्षकों के मोबाइल से फोटो खींचना
वह शिक्षकों के साथ बैठकर लैपटॉप को छेड़ना
वह कैसी मेरी नादानी अभी भी याद आए वह कहानी
नर्सरी की टीचर हो या 12वीं की शिक्षक
ऑफिस स्टाफ हो या चालक और परिचालक
यह मेरी कैसी विदाई
इस परिवार से मेरी कैसी जुदाई
इस पर ना मैं रो पाऊंगा ना कुछ कह पाऊंगा
आपको कैसे समझाऊंगा
सबके लिए एक ही दुआ करता हूं
हर संडे को एक मैसेज अवश्य करूंगा
ना भूल पाऊंगा आपको
आपकी बातों को ही मैं अपनी यादें समझ कर गुनगुनाते रहूंगा
कवि – गोकुलानन्द जोशी
पता करास माफ़ी जनोटी पालड़ी काफलीगैर बागेश्वर
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