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आखिर AAP-कांग्रेस के गठजोड़ के बावजूद BJP ने दिल्ली में कैसी मारी बाजी?

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‘मोदी फैक्टर’ और भ्रष्टाचार के आरोपों पर आम आदमी पार्टी के खिलाफ लक्षित अभियान के दम पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दिल्ली की सभी सात सीट पर जीत हासिल की।

हालांकि वर्ष 2019 के चुनाव की तुलना में विजेताओं की जीत का अंतर सभी सात संसदीय क्षेत्रों में काफी कम हो गया। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के उम्मीदवारों (कांग्रेस और आम आदमी पार्टी) ने चांदनी चौक और नयी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशियों को कड़ी टक्कर दी।

भाजपा को पड़ोसी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान जैसे हिंदी पट्टी के राज्यों में अपने गढ़ों में आश्चर्यजनक हार का सामना करना पड़ा। दिल्ली में एक को छोड़कर बाकी सभी उम्मीदवारों को बदलने का भाजपा का दांव कामयाब रहा। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिले वोट ‘आप’ और कांग्रेस उम्मीदवारों को मिले वोटों से भी ज़्यादा थे। भाजपा का वोट प्रतिशत 2019 में 56.7 प्रतिशत से घटकर इस बार लगभग 54 प्रतिशत हो गया, हालांकि, यह पार्टी के 2014 की 46.6 प्रतिशत वोट हिस्सेदारी से अधिक है।

भाजपा की दिल्ली इकाई के प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, “हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को तीसरी बार शपथ लेते देखेंगे। दिल्ली ने भ्रष्ट ‘इंडिया’ गठबंधन को नकार दिया है और देश ने भी यही किया है।” कांग्रेस की दिल्ली इकाई के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि न केवल दोनों विपक्षी दल (आप और कांग्रेस) जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से एक साथ आने में विफल रहे, बल्कि दोनों दलों के समर्थकों और मतदाताओं के बीच विश्वास की कमी भी दिखी।

उन्होंने कहा, “यह उम्मीद की जा रही थी कि अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में कांग्रेस और आप के मतदाता एक-दूसरे को वोट देंगे। जिस अंतर से भाजपा जीती, उसका मतलब है कि यह जमीनी स्तर पर पूरी तरह से हुआ नहीं।” ‘आप’ ने 2019 में हुए लोकसभा चुनाव से अपने वोट प्रतिशत में सुधार किया है, जबकि कांग्रेस को इस बार झटका लगा। ‘आप’ का वोट प्रतिशत 2019 में 18.2 प्रतिशत था जो इस बार बढ़कर लगभग 24 प्रतिशत हो गया जबकि कांग्रेस का वोट प्रतिशत 2019 में 22.6 प्रतिशत था जो इस बार घटकर लगभग 18 प्रतिशत रह गया।

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