अल्मोड़ा: रानीखेत में एक चौंकाने वाले मामले में, एक सौतेली बेटी द्वारा अपने पिता पर लगाया गया दुष्कर्म का आरोप झूठा साबित हुआ है। इस झूठे आरोप के कारण पिता को 1 साल 11 महीने 2 दिन तक जेल में रहना पड़ा। अब जिला सत्र न्यायालय ने आरोपों को निराधार मानते हुए पिता को दोषमुक्त कर दिया है और जेल से रिहाई के आदेश जारी किए हैं।
क्या था मामला?
घटना 25 अगस्त 2023 की है, जब 17 साल की एक लड़की ने रानीखेत कोतवाली में अपने सौतेले पिता के खिलाफ तहरीर दी थी। लड़की ने आरोप लगाया था कि पिता ने उसके साथ दो बार शारीरिक संबंध बनाए, मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी। इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर पिता को गिरफ्तार कर लिया और पॉक्सो एक्ट समेत अन्य धाराओं में जेल भेज दिया था।
आरोपी बनाए गए पिता, जो रानीखेत में किराए के मकान में रहकर कारपेंटर का काम करते थे, ने पुलिस को बताया था कि उनकी सौतेली बेटी अनजान लड़कों से फोन पर घंटों बात करती थी और बाहरी लड़कों के साथ होटलों में भी रुकती थी। जब उन्होंने इस बात पर उसे डांटा, तो बेटी ने बदला लेने के लिए उन पर झूठे आरोप लगा दिए।
न्यायालय में झूठा साबित हुआ आरोप
यह मामला विशेष सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में चला। अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 10 गवाहों को परीक्षित कराया गया, लेकिन अभियोजन पक्ष की कोई भी दलील आरोपों को सिद्ध नहीं कर पाई।
बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता जमन सिंह बिष्ट और एडवोकेट अजय मेहता ने पैरवी की। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद, विशेष सत्र न्यायाधीश श्रीकांत पांडेय ने सौतेले पिता को निर्दोष मानते हुए दोषमुक्त कर दिया। इस निर्णय के साथ ही न्यायालय ने पिता को जेल से तत्काल रिहा करने का आदेश दिया।
यह मामला दिखाता है कि झूठे आरोपों के कारण किसी व्यक्ति का जीवन किस तरह प्रभावित हो सकता है।
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