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नन्हीं परी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हल्द्वानी में फूटा गुस्सा, सड़क पर उतरे लोग

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हल्द्वानी: वर्ष 2014 के बहुचर्चित ‘नन्हीं परी’ हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट से आरोपियों के बरी होने पर प्रदेशभर की जनता में भारी आक्रोश है। यह आक्रोश अब सोशल मीडिया से निकलकर सड़कों पर दिखाई देने लगा है। पिथौरागढ़ के बाद, गुरुवार, 18 सितंबर को हल्द्वानी की सड़कों पर भी हजारों लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा, जिन्होंने प्रदर्शन कर अपना गुस्सा जाहिर किया।


 

सड़कों पर उमड़ा लोगों का सैलाब, राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन

 

हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में बड़ी संख्या में सामाजिक संगठनों, लोक कलाकारों और स्थानीय लोगों ने इकट्ठा होकर प्रदर्शन किया। उनके हाथों में तख्तियाँ थीं और वे ‘नन्हीं परी’ को न्याय दिलाने और आरोपियों को फाँसी की सजा देने की माँग कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने बुद्ध पार्क से सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय तक मार्च किया और पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद भी वे नहीं रुके। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई नोकझोंक के बाद आखिरकार उन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भेजा।

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से पीड़ित परिवार और जनता बेहद निराश है। उन्होंने कहा कि अदालत का फैसला न्यायपालिका पर सवाल खड़े करता है, क्योंकि इस निर्मम घटना ने हर किसी को झकझोर दिया था और लोगों को न्याय की उम्मीद थी। प्रदर्शन में हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश और लोक कलाकार श्वेता मेहरा, इंदर आर्य, प्रियंका मेहरा, गोविंद दिगारी समेत कई अन्य कलाकार भी मौजूद थे।


 

क्या है ‘नन्हीं परी’ हत्याकांड का पूरा मामला?

 

यह मामला नवंबर 2014 का है, जब पिथौरागढ़ की 7 वर्षीय ‘नन्हीं परी’ काठगोदाम में एक शादी समारोह में आई थी। पाँच दिनों बाद उसका शव गौला नदी के पास के जंगल में मिला था। जाँच में पता चला था कि बच्ची के साथ पहले दुष्कर्म किया गया और फिर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई।

इस मामले ने पूरे क्षेत्र में भारी आक्रोश पैदा कर दिया था। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मुख्य आरोपी अख्तर अली को मौत की सजा सुनाई थी, जबकि एक अन्य आरोपी प्रेमपाल को पाँच साल की कैद हुई थी। अख्तर अली ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जहाँ सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया गया। इसी फैसले से लोगों में आक्रोश है।

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