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देहरादून में DM का कड़ा एक्शन: लोन न चुकाने पर बैंक सील, विधवा महिला का ₹15.50 लाख का कर्ज माफ

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देहरादून: उत्तराखंड में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ देहरादून के जिलाधिकारी (DM) के कड़े एक्शन के बाद एक बैंक शाखा को सील कर दिया गया। यह कार्रवाई एक विधवा महिला द्वारा लोन की किस्त न चुका पाने और बैंक द्वारा दबाव बनाए जाने के बाद की गई थी, जबकि लोन का बीमा कवर भी था। प्रशासन की इस सख्ती के चलते आखिरकार बैंक ने महिला का ₹15.50 लाख का कर्ज माफ कर दिया और अब बैंक को फिर से खोलने की अनुमति मिल गई है।


क्या है पूरा मामला?

अमर भारती चंद्रबनी निवासी शिवानी गुप्ता ने क्रॉस रोड मॉल के पास स्थित डीसीबी (DCB) बैंक की शाखा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। शिवानी गुप्ता के पति रोहित गुप्ता ने बैंक से ₹15.50 लाख का लोन लिया था। दुर्भाग्यवश, 15 मई 2024 को पति की मृत्यु हो गई, जिसके बाद शिवानी गुप्ता लोन की किस्तें चुकाने में असमर्थ हो गईं।

शिकायत के अनुसार, बैंक लगातार महिला पर लोन चुकाने का दबाव बना रहा था, जबकि यह लोन आईसीआईसीआई लोम्बार्ड (ICICI Lombard) से बीमा कवर था।


DM का सख्त रुख

मामले की गंभीरता को देखते हुए, जिलाधिकारी सविन बंसल ने बैंक प्रबंधक को तलब किया और प्रकरण को निस्तारित करने के निर्देश दिए। हालांकि, बैंक ने डीएम के निर्देशों का पालन नहीं किया। इसके बाद, तहसील सदर के ज़रिए बैंक प्रबंधक को ₹17.5 लाख की आरसी (Recovery Certificate) जारी की गई। यह रकम बैंक प्रबंधक को 16 जून तक राजस्व में जमा करानी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

डीएम के आदेश पर बुधवार को नायब तहसीलदार जितेंद्र सिंह ने राजस्व विभाग की टीम के साथ डीसीबी बैंक के शाखा प्रबंधक और कर्मियों की मौजूदगी में बैंक की चल संपत्तियों की कुर्की करते हुए शाखा को सील कर दिया।


बैंक ने किया कर्ज माफ, प्रशासन ने दी राहत

इस कड़े एक्शन का असर तुरंत दिखा। बैंक शाखा सील होने के बाद शुक्रवार को डीसीबी बैंक ने त्वरित कार्रवाई की। बैंक के प्रतिनिधि स्वयं फ़रियादी शिवानी गुप्ता के घर गए, उनकी संपत्ति के कागज़ात वापस लौटाए, ₹15.50 लाख का पूरा ऋण माफ करते हुए ‘नो ड्यूज़’ (No Dues) का सर्टिफिकेट भी जारी किया।

इसके बाद, प्रशासन ने बैंक को दोबारा खोलने की अनुमति दे दी है। यह मामला दिखाता है कि कैसे प्रशासन की त्वरित और कठोर कार्रवाई से आम नागरिकों को न्याय मिल सकता है और बैंकों की मनमानी पर लगाम लगाई जा सकती है।

इस तरह के मामलों में, आपको क्या लगता है कि नियामक निकायों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है?

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