हिमालय प्रहरी

छात्र-छात्राओं को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सम्मेलन में भेजने का आदेश जारी करने के विरोध में भाकपा माले ने अल्मोड़ा जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारी को निलंबित करने की करी मांग

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राजू अनेजा,लालकुआ।”भाकपा (माले) छात्र-छात्राओं को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सम्मेलन में भेजने का आदेश जारी करने के अल्मोड़ा के मुख्य शिक्षा अधिकारी श्री सत्य नारायण के काम को अपने पद का दुरुपयोग और राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन मानती है.”
अतः उन्हें तत्काल निलंबित करते हुए, उनके पद से हटाए जाने और यह सुनिश्चित किए जाने की मांग करती है कि भविष्य में जिम्मेदार पद पर बैठा कोई अधिकारी इस तरह का कृत्य न करे.” माले जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय ने प्रेस बयान जारी कर यह बात कही।

उन्होंने कहा कि, “किसी जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारी, किसी छात्र संगठन के सम्मेलन के लिए भीड़ जुटाने का काम अपने हाथों में ले लें और इसके लिए अपने अधीनस्थों को लिखित आदेश जारी करें, यह किसी हाल में सही नहीं ठहराया जा सकता है.
मुख्य शिक्षा अधिकारी अलमोड़ा का काम, किसी राजनीतिक पार्टी के छात्र संगठन के लिए भीड़ जुटाना नहीं बल्कि उनका काम है कि वे अपने प्राधिकार में आने वाले विद्यालयों में नियमित पठन-पाठन करवाएँ.
लेकिन अल्मोड़ा के मुख्य शिक्षा अधिकारी ने ऐसे समय में छात्र-छात्राओं को एक छात्र संगठन के सम्मेलन में भेजने का आदेश किया है, जबकि परीक्षाएं सिर पर हैं.”

माले जिला सचिव ने कहा कि, “अल्मोड़ा जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारी का यह कृत्य अनैतिक तो है ही, यह विधि विरुद्ध भी है. अतः इसका संज्ञान लेते हुए उनके विरुद्ध तत्काल एक्शन लिया जाना चाहिए।”

गौरतलब है कि अल्मोड़ा जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारी श्री सत्य नारायण ने 13 फरवरी 2023 को जारी पत्र, जिसका पत्रांक 13519-26/ विविध/ प्रबंध- 03 / जिला सम्मेलन / 2022.23 है, अल्मोड़ा शहर के सभी इंटर कॉलेजों के प्रधानाचार्य / प्रधानाचार्याओं को भेजा. उक्त पत्र में मुख्य शिक्षा अधिकारी श्री सत्य नारायण द्वारा निर्देश जारी किया गया कि 16 फरवरी को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जिला सम्मेलन में कक्षा 09 एवं कक्षा 11 के छात्र / छात्राओं को दो अध्यापकों के साथ प्रतिभाग करवाया जाये. जबकि उत्तराखंड में लागू राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली 2002 की धारा 5 (1) कहती है कि “कोई सरकारी कर्मचारी किसी राजनीतिक दल या किसी ऐसी संस्था का, जो राजनीति में हिस्सा लेती हो, सदस्य न होगा और न अन्यथा उससे संबंध रखेगा और न वह किसी ऐसे आंदोलन में या संस्था में हिस्सा लेगा या किसी अन्य रीति से उसकी मदद करेगा.”

 

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