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लालकुआं: बदहाल सड़क को लेकर 5 गांवों के ग्रामीणों का प्रदर्शन, सिटी मजिस्ट्रेट के आश्वासन पर आंदोलन स्थगित

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लालकुआं: ग्राम सभा हाथीखाल और आस-पास के पाँच गाँव—हरीपुर तुलाराम, बकुलिया, सकुलिया, मोटाहल्दु और मोतीनगर—के ग्रामीण पिछले 14 वर्षों से जर्जर सड़क के पुनर्निर्माण की बाट जोह रहे हैं। राज्यमार्ग रेलवे क्रॉसिंग से गौला गेट तक की मात्र डेढ़ किलोमीटर लंबी इस बदहाल सड़क के विरोध में बुधवार को ग्रामीणों ने आंदोलन शुरू कर दिया।


 

बदहाली और अधिकारियों की लापरवाही पर आक्रोश

 

ग्रामीणों का आरोप है कि लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधिकारियों की लापरवाही के चलते सड़क का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है, जबकि इसके लिए लगभग ₹2 करोड़ 46 लाख का बजट स्वीकृत हो चुका है।

  • 14 साल से बदहाली: ग्रामीणों ने बताया कि पिछले 14 वर्षों से यह सड़क कच्ची, धूल और गहरे गड्ढों से भरी हुई है, जिसके कारण आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। दोपहिया वाहन चालक सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं।
  • आश्वासनों से निराशा: प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार और पीडब्ल्यूडी विभाग ने बार-बार केवल आश्वासन दिए हैं, जबकि धरातल पर कोई काम शुरू नहीं हुआ।
  • अधूरा काम: करीब एक साल पहले विभाग ने सड़क के दोनों ओर दीवार बनाने का काम शुरू किया था, लेकिन उसे भी आधे में ही छोड़ दिया गया। पार्षद मनोज जोशी ने कहा कि दीवार बनाकर ग्रामीणों को गुमराह किया गया।
  • अस्पताल और स्कूल पर असर: ग्रामीणों ने बताया कि यह सड़क अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके किनारे अस्पताल मौजूद हैं और बच्चे इसी मार्ग से स्कूल जाते हैं, जिससे आपात स्थिति में मरीजों और छात्रों को भारी कठिनाई होती है।

 

सिटी मजिस्ट्रेट के आश्वासन पर आंदोलन स्थगित

 

जर्जर सड़क के निर्माण की मांग को लेकर चल रहा ग्रामीणों का आंदोलन करीब दो घंटे बाद सिटी मजिस्ट्रेट जीएस चौहान के हस्तक्षेप के बाद स्थगित कर दिया गया।

  • सिटी मजिस्ट्रेट का आश्वासन: सिटी मजिस्ट्रेट जीएस चौहान ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों से बात की और 25 अक्टूबर 2025 तक सड़क निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिए जाने का मौखिक आश्वासन दिया।
  • PWD से वार्ता: उन्होंने लोनिवि के अधिशासी अभियंता से फोन पर वार्ता भी की, जिन्होंने शीघ्र कार्य प्रारंभ करने का भरोसा दिया।
  • अगले आंदोलन की चेतावनी: पार्षद मनोज जोशी और अन्य ग्रामीणों (विद्या जोशी, विजय भट्ट, रमेश सिंह) ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि 25 अक्टूबर तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ, तो वे उग्र आंदोलन, हाईवे जाम और आमरण अनशन शुरू करेंगे।

 

ग्रामीणों की प्रमुख माँगें और सुझाव

 

स्थानीय निवासियों ने इस समस्या से निजात पाने के लिए निम्नलिखित माँगें और सुझाव दिए हैं:

समस्याएँ (14 साल से) समाधान के सुझाव (ग्रामीणों द्वारा)
निर्माण में देरी: 14 सालों से डेढ़ किलोमीटर सड़क नहीं बनी। तत्काल टेंडर जारी किया जाए।
गहरे गड्ढे: सड़क ‘मौत के कुएं’ में बदल गई है। सड़क की तुरंत मरम्मत और समतलीकरण किया जाए।
जलभराव/धूल: हल्की बारिश में जलभराव और बिछी बजरी से व्यापारियों को नुकसान। सड़क के दोनों ओर निकासी नालियां बनाई जाएँ।
झूठी उम्मीद: दीवार बनाकर काम अधूरा छोड़ दिया गया। सड़क पर जल्द डामरीकरण किया जाए।
हादसे: दोपहिया वाहन चालकों के साथ रोज दुर्घटनाएं। क्षेत्र में सफाई व्यवस्था दुरुस्त की जाए।
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