उत्तराखंड में प्रवेश करने वाले अन्य राज्यों के वाहनों को अब विभिन्न श्रेणियों में ₹80 से लेकर ₹700 तक का ग्रीन सेस (Green Cess) चुकाना होगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को परिवहन विभाग को इस व्यवस्था को शीघ्र लागू करने के निर्देश दिए हैं, जिसके बाद परिवहन अधिकारियों का प्रयास है कि इसे 1 जनवरी से प्रभावी रूप से लागू कर दिया जाएगा।
😠 मुख्यमंत्री की नाराज़गी
राजस्व प्राप्तियों की समीक्षा के दौरान, सीएम धामी ने पिछले दो वर्षों से ग्रीन सेस योजना पर कार्य न होने पर परिवहन अधिकारियों के प्रति कड़ी नाराजगी व्यक्त की। यह योजना फरवरी 2024 में लागू की गई थी, लेकिन प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पाई, जिससे राज्य को लगभग ₹100 करोड़ के राजस्व नुकसान का अनुमान है। सीएम ने कहा कि राज्य के विकास के लिए अपना राजस्व बढ़ाना सरकार की प्राथमिकता है।
💰 ग्रीन सेस की दरें (एक बार दिया गया शुल्क पूरे दिन के लिए मान्य)
| वाहन की श्रेणी | ग्रीन सेस की राशि |
| भारी वाहन (एक्सेल अनुसार) | ₹450 से ₹700 तक |
| भारी निर्माण उपकरण वाहन | ₹250 |
| 7.5 से 18.5 टन के माल वाहन | ₹250 |
| 3 से 7.5 टन तक के हल्के माल वाहन | ₹120 |
| 3 टन तक की डिलीवरी वैन | ₹80 |
| 12 सीट से अधिक की बसें | ₹140 |
| मोटर कैब, मैक्सी कैब और पैसेंजर कार | ₹80 |
छूट का प्रावधान: 20 गुना शुल्क देने पर तीन माह और 60 गुना शुल्क पर एक वर्ष की छूट मिलेगी।
🚫 ग्रीन सेस से किसे मिलेगी छूट?
निम्नलिखित वाहनों को ग्रीन सेस लागू नहीं होगा:
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दो पहिया वाहन
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सरकारी वाहन: केंद्र-राज्य सरकार और दूसरे प्रदेशों के सरकारी वाहन।
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विशेष वाहन: ट्रैक्टर, ट्रैलर, रोड रोलर, कंबाइन हार्वेस्टर।
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आपातकालीन वाहन: शव वाहन, एंबुलेंस, फायर टेंडर।
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सुरक्षा बल: सेना के वाहन।
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प्रदूषण रहित/कम वाहन: विद्युत बैटरी, सोलर, हाइब्रिड और सीएनजी से चलने वाले वाहन।
💳 राजस्व वसूली की प्रणाली
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माध्यम: बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों से फास्टैग (FASTag) के जरिए ग्रीन सेस वसूला जाएगा।
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चेक पोस्ट: यूपी और हिमाचल सीमा पर 10 बॉर्डर चेक पोस्ट तैयार हैं, और 6 अन्य पर काम चल रहा है। प्रमुख सीमाओं पर लगे एपीएनआर (APNR) कैमरों से फास्टैग के माध्यम से सीधे ग्रीन सेस कटेगा।
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राजस्व अनुमान: इससे राज्य को सालाना लगभग ₹50 करोड़ के राजस्व की उम्मीद है, जिसे पर्यावरण संरक्षण आदि पर खर्च किया जाएगा।
🏛️ सीएम द्वारा दिए गए अन्य निर्देश
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राजस्व निगरानी: हर विभाग का उच्चाधिकारी एवं डीएम नियमित रूप से राजस्व की निगरानी करेंगे।
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प्रौद्योगिकी का उपयोग: कर चोरी पर प्रभावी नियंत्रण के लिए एआई आधारित तकनीक का अधिक इस्तेमाल।
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डिजिटाइजेशन: निबंधन एवं रजिस्ट्रेशन से संबंधित सभी कार्यों का अनिवार्य रूप से डिजिटाइजेशन हो।
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संपत्ति का उचित मूल्य: रजिस्ट्री के दौरान संपत्ति का उचित मूल्य दर्ज करने के लिए स्थानीय निरीक्षण भी किया जाएगा।
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प्लांटेशन: तराई में व्यावसायिक प्रजातियों के प्लांटेशन और जड़ी-बूटी उत्पादन के लिए ठोस कार्ययोजना बने।
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