
राजू अनेजा,नैनीताल। उत्तराखण्ड की पुलिस व्यवस्था में “मिशन संवाद” एक ऐसा जीवंत उदाहरण बन चुका है जिसने शासन के स्वरूप को केवल कठोर अनुशासन से निकालकर संवेदनशील मानवीय दिशा दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व, पुलिस महानिदेशक उत्तराखण्ड के मार्गदर्शन और कुमायूँ की पुलिस महानिरीक्षक श्रीमती रिद्धिम अग्रवाल की प्रेरक दृष्टि में संचालित यह पहल केवल प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि ‘मानव मन की चिकित्सा’ जैसा अभियान है — जिसने पुलिस बल को मानसिक, पारिवारिक और सामाजिक रूप से सशक्त किया है। मिशन संवाद का मूल भाव है, मन की शांति, परिवार का संतुलन और समाज के प्रति संवेदनशीलता। यह कार्यक्रम उस संवाद-परंपरा को पुनर्जीवित कर रहा है, जहाँ बातचीत ही समाधान है। जिस प्रकार श्रीकृष्ण ने अर्जुन को संवाद के माध्यम से धर्म और कर्तव्य का बोध कराया, उसी प्रकार यह मिशन आधुनिक पुलिस कर्मियों को आत्मबल, करुणा और धैर्य का बोध करा रहा है।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मिशन के शुभारंभ 05 जुलाई 2025 के अवसर पर कहा था पुलिस सिर्फ सुरक्षा की प्रतीक नहीं, बल्कि समाज के मनोबल की नींव है।
जब पुलिस कर्मी का मन शांत होगा, तभी शासन सशक्त होगा। सरकार ने इसी सोच को धरातल पर उतारते हुए एक ‘संवाद मोबाइल एप’ लॉन्च किया,
जिससे अब तक 1000 से अधिक पुलिस कर्मी विशेषज्ञ परामर्श प्राप्त कर चुके हैं।
इसने न केवल तनाव कम किया है, बल्कि पुलिस परिवारों के भीतर विश्वास और संवाद की संस्कृति को फिर से जीवित किया है।
*रिद्धिम अग्रवाल संवेदना से सशक्तिकरण की दिशा में नेतृत्व का नया चेहरा*
आईजी रिद्धिम अग्रवाल के नेतृत्व में मिशन संवाद ने वर्दी के भीतर छिपे मौन संघर्षों को आवाज़ दी है।
वह मानती हैं कि हर पुलिसकर्मी सबसे पहले एक इंसान है, उसके भीतर भी भावनाएँ और परिवार हैं। उनका दृष्टिकोण यह है कि जब पुलिस कर्मी भीतर से शांत और संतुलित होगा, तभी वह जनता के प्रति वास्तव में संवेदनशील हो सकेगा। रिद्धिम अग्रवाल ने इस मिशन के माध्यम से पुलिस व्यवस्था में ‘इमोशनल इंटेलिजेंस’ का नया अध्याय जोड़ा है। उन्होंने यह सिद्ध किया कि संवेदना कोई कमजोरी नहीं, बल्कि सुशासन की शक्ति है। उनकी यह सोच पुलिसिंग को ‘पावर’ से हटाकर ‘पर्पज़’ की ओर ले जा रही है। आज “मिशन संवाद” सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि एक आंदोलन बन चुका है , एक ऐसी प्रेरक यात्रा जो हर पुलिसकर्मी को यह सिखा रही है कि कर्तव्य तभी सार्थक है, जब उसमें करुणा का अंश हो।
*संवाद वेलनेस मेला 2025 मन, परिवार और भविष्य का उत्सव*
पुलिस लाइन नैनीताल में आयोजित संवाद वेलनेस मेला 2025 इस पहल की आत्मा बनकर सामने आया। इस आयोजन में कुमायूँ के विभिन्न जिलों से आए पुलिस कर्मियों और उनके परिवारों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
दिल्ली से आमंत्रित अनुभवी काउंसलरों ने कक्षा 9 से 12 तक अध्ययनरत बच्चों के लिए करियर गाइडेंस व पर्सनालिटी डेवलपमेंट सत्र आयोजित किए, जिनमें जीवन, लक्ष्य और आत्मविश्वास पर चर्चा हुई। इन सत्रों ने एक बड़ा संदेश दिया
सफलता केवल अंक में नहीं, बल्कि जीवन के संतुलन में छिपी होती है।
और यही संतुलन — मिशन संवाद का सार है।
*अल्मोड़ा से खटीमा तक — संवाद की श्रृंखला, संवेदना का विस्तार*
अब तक मिशन संवाद के तहत अल्मोड़ा, हल्द्वानी, रुद्रपुर, नैनीताल और खटीमा में 400 से अधिक पुलिस कर्मियों के लिए कार्यशालाएँ आयोजित की जा चुकी हैं।
इनसे पुलिस बल में तनाव घटा, आत्मबल बढ़ा और सकारात्मक सोच की नींव पड़ी है। यह साबित करता है कि जब नेतृत्व सुनने वाला होता है, तो परिवर्तन गहराई तक उतरता है।
*संवेदना से सशक्तिकरण तक — उत्तराखण्ड पुलिस की नई परिभाषा*
“मिशन संवाद” ने यह प्रमाणित किया है कि मानसिक सशक्तिकरण ही सेवा की स्थायी ऊर्जा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और आईजी रिद्धिम अग्रवाल की संयुक्त पहल ने प्रशासन में मानवता, मनोबल और मिशन — तीनों का अद्भुत संतुलन स्थापित किया है। आज उत्तराखण्ड पुलिस केवल कानून की संरक्षक नहीं, बल्कि समाज की संवेदनशील शक्ति बन चुकी है —
जहाँ वर्दी केवल अनुशासन का प्रतीक नहीं, बल्कि सेवा, संवेदना और संवाद की पहचान है।
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