पूरे देश में दीपावली (20/21 अक्टूबर) मनाए जाने के बाद, उत्तराखंड राज्य में दिवाली के ठीक 11 दिन बाद यानी 31 अक्टूबर को एक अनोखा और पारंपरिक पर्व मनाया जाता है, जिसे ‘इगास’, ‘बूढ़ी दिवाली’ या ‘इगास बग्वाल’ कहा जाता है।
इगास पर्व का महत्व
- अर्थ: ‘इगास’ का अर्थ ‘एकादशी’ है, जो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवें दिन मनाई जाती है।
- देवउठनी एकादशी: इसे हरिबोधिनी एकादशी या देवउठनी एकादशी भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं। इसी दिन से शुभ मांगलिक कार्य, जैसे शादी-विवाह, भी शुरू होते हैं।
- सांस्कृतिक प्रतीक: यह पर्व उत्तराखंड की लोक संस्कृति और गौरव का प्रतीक है, जिसे ‘विजयोत्सव’ के रूप में भी जाना जाता है।
इगास की उत्पत्ति की दो मान्यताएँ
इगास पर्व के पीछे दो मुख्य कहानियाँ मानी जाती हैं:
- श्रीराम का अयोध्या लौटना (गढ़वाल): प्राचीन मान्यता है कि ऊपरी पहाड़ी क्षेत्र होने और संदेश भेजने के संसाधनों की कमी के कारण, भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की खबर गढ़वाल क्षेत्र में 11 दिन की देरी से पहुँची थी। इसलिए गढ़वालवासियों ने अपनी दिवाली 11 दिन बाद मनाई।
- सेनापति माधो सिंह भंडारी: ऐतिहासिक मान्यता है कि 17वीं शताब्दी में सेनापति माधो सिंह भंडारी अपने सैनिकों के साथ तिब्बत युद्ध जीतकर जब 11 दिन बाद लौटे, तो उनकी जीत की खुशी में यह उत्सव मनाया गया। लोगों ने पहले यह समझ लिया था कि सैनिक शहीद हो गए हैं, इसलिए उन्होंने दिवाली नहीं मनाई थी।
पर्व की प्रमुख परंपराएँ और व्यंजन
- भैलो खेलना (मुख्य परंपरा): यह इगास त्योहार की सबसे खास परंपरा है। भैला चीड़ की लीसायुक्त लकड़ी (जिसे दली या छिल्ला कहा जाता है) से बनाया जाता है, क्योंकि यह ज्वलनशील होती है। इन लकड़ियों के छोटे टुकड़ों को रस्सी से बाँधकर, उसे जलाकर घुमाया जाता है, जिसे ‘भैला खेलना’ कहते हैं। (जहाँ चीड़ के जंगल न हों, वहाँ देवदार या अन्य लकड़ियों का उपयोग होता है।)
- पूजा और नृत्य: रात में स्थानीय देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है। भैला जलाने के बाद ढोल-नगाड़ों के साथ आग के चारों ओर लोक नृत्य किया जाता है।
- गौवंश की पूजा: इगास बग्वाल पर्व में गोवंश की पूजा की जाती है और उनके लिए विशेष आहार तैयार किया जाता है।
- पारंपरिक पकवान: घरों में सुबह मीठे पकवान बनाए जाते हैं, जिनमें पूड़ी, स्वाली, पकोड़ी और भूड़ा जैसे पारंपरिक पकवान शामिल होते हैं।
- अन्य आयोजन: कुछ स्थानों पर रस्साकशी जैसे खेल भी आयोजित किए जाते हैं।
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