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क्या गड्ढों में गढ़ी जा रही है विकास की कहानी? वीआयीपी मार्ग कहे जाने वाले रामनगर- काशीपुर मार्ग का बुरा हाल

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राजू अनेजा, काशीपुर। भले ही सरकार द्वारा विकास को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हो परंतु हकीकत में सभी दावे कागज़ों में दम तोड़ते दिखाई दे रहे है।क्षेत्र का वीआयीपी मार्ग कहे जाने वाला रामनगर से काशीपुर तक का मुख्य मार्ग आज इस कदर उपेक्षा का शिकार हो गया है कि यहां से राहगीरों का गुजरना किसी बड़े खतरे से कम नही है।रामनगर से काशीपुर तक जाने वाला मुख्य मार्ग इन दिनों गड्ढों में तब्दील होकर हादसों को दावत दे रहा है। खनन डंपरों के कब्जे में आई इस सड़क पर हर दिन धूल, जाम और हादसे का खतरा बना रहता है।वही जिम कॉर्बेट जाने के लिए दूर-दूर से आने वाले पर्यटक भी इस मार्ग से गुजर कर अपने साथ सुकून भरे पलो के बदले कड़वी यादें साथ लेकर लौट रहे है।

 

 

सड़क नहीं, गड्ढों का सिलसिला — जनता का सफर बना  अब सजा
रामनगर–काशीपुर मार्ग पर वाहन चलाना अब किसी जोखिम से कम नहीं। जगह-जगह गहरे गड्ढे, उखड़ा डामर और उड़ती धूल ने राहगीरों का जीना मुश्किल कर दिया है। बारिश के दौरान यही गड्ढे तालाब बन जाते हैं और गर्मी में धूल के गुबार लोगों की आंखों और सांसों में उतर जाते हैं। इधर दोपहिया वाहन चालक तो हर पल हादसे के डर में सफर करते दिखाई देते हैं।

खनन डंपरों का कब्जा, सड़क हुई तबाह
इस मार्ग पर खनन सामग्री से भरे ओवरलोडेड डंपरों की रफ्तार ने सड़क को पूरी तरह तबाह कर दिया है। डंपरों का दबदबा ऐसा है कि आम वाहन चालकों को किनारे होकर गुजरना पड़ता है। हर दिन जाम और दुर्घटनाओं का सिलसिला जारी है, लेकिन प्रशासन मौन है।

पर्यटक बोले — कॉर्बेट की यादें नहीं, बल्कि पीड़ादायक सफर की कड़वी यादे ले जा रहे अपने साथ
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क आने वाले पर्यटक अब इस मार्ग को ‘खतरे का रास्ता’ कहने लगे हैं। एक पर्यटक ने कहा, “यह सड़क नहीं, मौत का कुआं है। इतनी बदहाल सड़क पर सफर करना किसी सजा से कम नहीं।”
स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि सड़क की बदहाली से पर्यटन पर असर पड़ा है, होटल और रेस्टोरेंट्स में ग्राहकों की संख्या घटने लगी है।इधर कॉर्बेट घूमने आए कई पर्यटकों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इतनी बदहाल सड़क देखकर निराशा होती है। एक पर्यटक ने कहा, “यह सड़क नहीं, जख्मों की पट्टी लगती है। सफर खत्म होते-होते शरीर जवाब दे देता है।” स्थानीय व्यापारी भी बताते हैं कि सड़क की दुर्दशा से पर्यटक मार्ग बदलने लगे हैं, जिससे व्यापार पर सीधा असर पड़ रहा है।

 

जनप्रतिनिधियों ने लिखे पत्र, फिर भी बेपरवाह अफसरशाही

सबसे बड़ी विडंबना यह है कि जनप्रतिनिधियों द्वारा कई बार संबंधित विभाग को पत्राचार कर सड़क सुधार की मांग उठाई गई, लेकिन विभागीय अफसरों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। न बजट की कमी है, न जानकारी का अभाव — बावजूद इसके नौकरशाही की उदासीनता से जनता परेशान है। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने कई बार सड़क मरम्मत के लिए विभाग को पत्राचार किया, यहां तक कि अधिकारियों को मौके पर बुलाकर हालात दिखाए गए। मगर अफसरों की फाइलों में सारी कार्रवाई धूल फांक रही है। न टेंडर जारी हुआ, न मरम्मत का काम शुरू। नौकरशाहों की ढीठ लापरवाही से जनता में भारी नाराज़गी है।

जनता में फूटा गुस्सा — “क्या किसी हादसे का इंतजार है?”
क्षेत्रवासियों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द सड़क की मरम्मत शुरू नहीं हुई, तो वे धरना-प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे। लोगों का कहना है कि आए दिन इस सड़क पर वाहन फिसलते हैं, दुर्घटनाएं होती हैं, लेकिन विभागीय अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं।

कागज़ों में विकास, ज़मीन पर गड्ढे
सरकारी रिपोर्टों में सड़क “सुचारू” बताई जा रही है, जबकि हकीकत यह है कि रामनगर–काशीपुर मार्ग अब विकास नहीं, बल्कि उपेक्षा का प्रतीक बन चुका है। जनता सवाल पूछ रही है —

“क्या गड्ढों में गढ़ी जा रही है विकास की कहानी?”

आवाज़ अब उठ चुकी है — जनता चाहती है जवाब, मरम्मत नहीं तो आंदोलन तय है।
यह सड़क अब सरकार के दावों पर नहीं, जनता के धैर्य पर भारी पड़ रही है।

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