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लाडली हत्याकांड ! सलाखों तक पहुंचाने वाली खाकी ही दोषी को बचाने में बनी मददगार

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लाडली हत्याकांड में पुलिस की 9 चूकें बनीं आरोपी की ढाल, अब सात नए आधारों पर रिव्यू पिटीशन की तैयारी

राजू अनेजा, हल्द्वानी।लाडली हत्याकांड में पुलिस की लापरवाहियों ने आरोपी को बचाने का काम किया। अदालत ने इन्हीं कमजोरियों को आधार बनाते हुए मुख्य आरोपी अख्तर अली को बरी कर दिया। अब नैनीताल पुलिस अपनी गलतियों को मानते हुए सात नए आधारों पर रिव्यू पिटीशन दायर करने जा रही है।


अधूरी रही साक्ष्यों की कड़ी
थानाध्यक्ष काठगोदाम की रिपोर्ट ने साफ कर दिया कि पुलिस साक्ष्यों को एक-दूसरे से जोड़ने में नाकाम रही। घटना का कोई चश्मदीद गवाह पेश नहीं हुआ। अभियोजन ने पीड़िता को गन प्वाइंट पर ले जाने की कहानी कही, लेकिन असलहा तक बरामद नहीं हुआ।


सबसे अहम गवाह को नहीं जोड़ा
निखिल चंद, जिसने सबसे पहले एसएसपी को फोन पर घटना की जानकारी दी थी, को गवाह ही नहीं बनाया गया। रिपोर्ट में माना गया कि वही सबसे मजबूत लिंक एविडेंस हो सकता था।


पोस्टमार्टम और घटनास्थल में विरोधाभास
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतका की मौत अत्यधिक रक्तस्राव से बताई गई, लेकिन घटनास्थल से पुलिस को खून के धब्बे तक नहीं मिले। अदालत ने इस विरोधाभास को अभियोजन के खिलाफ माना।


एफआईआर और बरामदगी में फर्क
एफआईआर में बच्ची को बॉयकट बाल वाली बताया गया। दूसरी ओर घटनास्थल से आरोपी की निशानदेही पर हेयरबैंड मिला। यह विरोधाभास भी अभियोजन की कहानी पर सवाल खड़ा करता रहा।


गिरफ्तारी पर संदेह
अख्तर अली को लुधियाना से गिरफ्तार करना बताया गया, लेकिन वहां की लोकल पुलिस स्टेशन में न तो आमद कराई गई और न ही रवानगी दर्ज हुई। रिपोर्ट में इसे गंभीर लापरवाही करार दिया गया।


डीएनए रिपोर्ट ने ढहाया केस
अभियोजन ने कहा कि तीन आरोपियों ने सामूहिक दुष्कर्म किया। लेकिन डीएनए जांच में सिर्फ एक आरोपी का ही वीर्य पाया गया। इस तथ्य ने अदालत में अभियोजन की कहानी को कमजोर कर दिया।


सैंपल पर गड़बड़ी
26 और 27 नवंबर 2014 को पुलिस ने सैंपल कहां रखा, इसका कोई स्पष्ट रिकॉर्ड पेश नहीं किया गया। मौके पर भी नमूनों का संरक्षण ठीक से नहीं किया गया।


नौ चूकें बनीं आरोपी की ढाल
रिपोर्ट में नौ बड़ी गलतियां गिनाई गई हैं—

  1. साक्ष्य की कड़ी न जोड़ना।
  2. चश्मदीद गवाह न होना।
  3. गन प्वाइंट का दावा लेकिन असलहा बरामद न होना।
  4. निखिल चंद को गवाह न बनाना।
  5. घटनास्थल से खून के धब्बे न मिलना।
  6. एफआईआर और बरामद साक्ष्य में विरोधाभास।
  7. गिरफ्तारी की प्रक्रिया पर सवाल।
  8. डीएनए रिपोर्ट से अभियोजन की कहानी का खारिज होना।
  9. सैंपल के संरक्षण और रिकॉर्ड में गड़बड़ी।

रिव्यू पिटीशन की नई तैयारी
अब पुलिस सात नए आधारों पर पुनर्विचार की तैयारी कर रही है। इनमें पीडब्ल्यू 18 और पीडब्ल्यू 24 की गवाही, एफएसएल रिपोर्ट, सीसीटीवी फुटेज, आरोपी का फरार होना और बैंक रिकॉर्ड को अहम माना गया है।


आईजी का बयान और सीएम का आदेश
आईजी कुमाऊं रिधिम अग्रवाल ने कहा कि पुलिस अब ठोस साक्ष्यों के साथ रिव्यू पिटीशन दाखिल करेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर शासन को रिपोर्ट भेजी जा रही है और रिव्यू फाइल तैयार की जा रही है।

 

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