नैनीताल: नैनीताल जिले में शस्त्र लाइसेंस बरकरार रखने के लिए एक आवेदक द्वारा ‘धन्नासेठ’ (धनवान) होने का दिया गया आधार झूठा साबित हुआ। जिला मजिस्ट्रेट ललित मोहन रयाल ने जांच के बाद पाया कि आवेदक की वार्षिक आय इतनी नहीं है कि उसे जानमाल का विशेष खतरा हो, जिसके चलते हल्द्वानी के एक व्यापारी का शस्त्र लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है।
📜 शस्त्र लाइसेंस निरस्त करने का आधार
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आवेदक: नाहिद कुरैशी (पुत्र वाजिद कुरैशी), निवासी आजाद नगर, थाना बनभूलपुरा, हल्द्वानी।
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शुरुआती मामला: नाहिद के विरुद्ध शस्त्र अधिनियम के तहत पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था, जिसके बाद यह मामला जिला मजिस्ट्रेट की कोर्ट पहुंचा।
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आवेदक का तर्क: नाहिद कुरैशी ने खुद को व्यापारी बताते हुए कोर्ट में तर्क दिया कि व्यापार के सिलसिले में उसे नकद धनराशि के साथ आवागमन करना पड़ता है, जिसके कारण उसके जान-माल को खतरा बना रहता है, इसलिए शस्त्र लाइसेंस जरूरी है।
⚖️ जांच और मजिस्ट्रेट का फैसला
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आयकर रिटर्न से खुलासा: जांच में पता चला कि नाहिद कुरैशी की ओर से विगत वर्ष आयकर रिटर्न में दर्ज वार्षिक आय मात्र ₹5,78,600 थी, और उसने लगभग ₹13,000 आयकर अदा किया था।
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कोर्ट का निष्कर्ष: जिला मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने आय विवरण पर विचार किया और पाया कि कुरैशी की वार्षिक आय इतनी अधिक नहीं है, जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि उनके जानमाल को असाधारण या विशिष्ट खतरा उत्पन्न होता हो, जिसके लिए शस्त्र धारण किया जाना अपरिहार्य हो।
इन तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने नाहिद कुरैशी को जारी शस्त्र लाइसेंस को निरस्त करने का निर्णय सुनाया और इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है।
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