केंद्र सरकार ने एक नया विधेयक पेश किया है, जिसके अनुसार अगर प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री या कोई भी मंत्री गंभीर आपराधिक मामले में 30 दिन से ज़्यादा हिरासत में रहता है, तो उसे 31वें दिन पद से हटा दिया जाएगा। यह विधेयक फिलहाल हंगामे के चलते संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेज दिया गया है। अगर यह कानून बन जाता है, तो उन सभी सांसदों के लिए खतरा बढ़ जाएगा जिन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
लोकसभा सांसदों पर आपराधिक मामलों का ब्यौरा
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान 18वीं लोकसभा में 543 सांसदों में से 251 (46%) के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। पिछले दो दशकों में ऐसे सांसदों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है:
- 2019: 43%
- 2014: 34%
- 2009: 30%
- 2004: 23%
पार्टी के हिसाब से सांसदों पर मामले:
- भाजपा: 240 में से 94 (39%) पर आपराधिक मामले।
- कांग्रेस: 99 में से 49 (49%) पर आपराधिक मामले।
- समाजवादी पार्टी: 37 में से 21 (56%) पर आपराधिक मामले।
सरकार के प्रस्तावित तीन विधेयक
सरकार इस प्रावधान को लागू करने के लिए तीन अलग-अलग विधेयक ला रही है:
- केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक 2025: यह विधेयक केंद्र शासित प्रदेश सरकार अधिनियम, 1963 में बदलाव करेगा ताकि ऐसे मामलों में मुख्यमंत्री या मंत्री को पद से हटाया जा सके।
- संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025: यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239एए में संशोधन करेगा, ताकि प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यों और दिल्ली के मुख्यमंत्री को हटाने का प्रावधान जोड़ा जा सके।
- जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025: यह विधेयक जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करेगा, ताकि मुख्यमंत्री या मंत्री को पद से हटाने का प्रावधान बनाया जा सके।
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