श्रीनगर: देवभूमि उत्तराखंड में चार धामों की तरह ही, मां धारी देवी के पावन धाम की भी बड़ी महत्ता है। श्रीनगर से लगभग 14 किलोमीटर दूर अलकनंदा नदी के तट पर स्थित यह मंदिर दस महाविद्याओं में से एक, मां काली को समर्पित है। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि मां धारी देवी उत्तराखंड के चारों धामों, यानी गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा करती हैं। यही वजह है कि चार धाम यात्रा पर जाने से पहले कई श्रद्धालु माता के दर्शन जरूर करते हैं।
दिन में तीन बार दिखते हैं चमत्कार
यह मंदिर सदियों पुराना माना जाता है और इसकी प्राचीनता को द्वापर युग से जोड़ा जाता है। यहाँ के स्थानीय लोगों का मानना है कि मां धारी देवी हर दिन अपने भक्तों को तीन अलग-अलग रूपों में दर्शन देती हैं। सुबह कन्या के रूप में, दिन में महिला के रूप में, और शाम को एक बुजुर्ग स्त्री के रूप में उनकी प्रतिमा दिखाई देती है।
धारी देवी मंदिर की कथा और इसका महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, धारी देवी के माता-पिता की मृत्यु के बाद उनके भाइयों ने उनका पालन-पोषण किया। जब 13 साल की उम्र में उनके पाँच भाइयों की मृत्यु हो गई, तो बाकी बचे भाइयों ने उन्हें अपशकुनी समझकर उनका सिर धड़ से अलग कर दिया और गंगा में बहा दिया। उनका सिर बहते हुए अलकनंदा नदी के धारी गाँव पहुंचा, जहाँ एक व्यक्ति ने इसे देखा। जब वह व्यक्ति उन्हें बचाने गया, तो देवी ने खुद उसे बताया कि वह एक देवी हैं और उसे निर्भय होकर उन्हें एक पवित्र स्थान पर स्थापित करने को कहा। ऐसा करने पर देवी का सिर एक पत्थर की मूर्ति में बदल गया और तब से लोग उन्हें धारी माता के नाम से पूजते हैं।
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