हिमालय प्रहरी

कोरे वादों की पटरी से उतरी नई ट्रेन की उम्मीदें,अब पुरानी ट्रेनें ही बहाल कर दो साहब ! काशीपुर वासियो की एक मार्मिक अपील

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राजू अनेजा, काशीपुर। पर्यटन का हब बने कुमाऊँ मंडल को देश भर से जोड़ने के लिए जहां लाल कुआं-काठगोदाम को एक के बाद एक नई ट्रेनों की सौगात मिल रही है  वही रामनगर काशीपुर वासियो  को नई ट्रेन तो दूर की बात बल्कि कोरोना काल से बंद हुई  ट्रेनों को भी पटरी पर दौड़ाने के लिए यहां के जनप्रतिनिधि नाकाम साबित होते दिखाई दे रहे हैं। ऐसा नहीं है कि उनके द्वारा यहां पर रेल विस्तार को लेकर कोई कदम न उठाए गए हो परंतु परंतु वह प्रयास या तो केवल कागज़ों तक सीमित रह गए या फिर रेलवे मंत्रालय तक पहुँचने से पहले ही दम तोड़ बैठे है।जिसके चलते यहां के वाशिंदों को अभी भी कोई लंबी दूरी की ट्रेन पकड़ने के लिए मुरादाबाद या दिल्ली का रुख करना पड़ता है। वही विश्व विख्यात पर्यटक स्थल जिम कॉर्बेट पार्क भ्रमण के लिए दूर-दूर से आने वाले पर्यटकों को रामनगर पहुंचने के लिए अभी भी बाया हल्द्वानी होकर टैक्सियों में धक्के खाने को मजबूर होना पड़ रहा है।

कितनी हैरानी और मंथन की बात है की, जहाँ एक और केंद्र सरकार इस बात का दावा करती नहीं थक रही की देश अमृत काल में है देश विकास के पथ पर अग्रसर है और भी नजाने क्या क्या ?लेकिन वही दूसरी तरफ़ उत्तराखंड राज्य के सबसे महत्वपूर्ण जनपद ऊधम सिंह नगर के  रामनगर- काशीपुर की आवाम रेल गाड़ी के इंतज़ार में सरकारों से आस लगाये बैठी है, की कोई तो नेता आएगा जो यहाँ के दर्द को अपना दर्द समझेगा और उसके निवारण के लिए ठोस क़दम उठाएगा परंतु इसे काशीपुर वासियों का दुर्भाग्य कहें या फिर जनप्रतिनिधियों की शिथिलता ! हकीकत यही है कि इस क्षेत्र को नई ट्रेनों की सौगात तो बहुत दूर की बात रही, बल्कि कोरोना काल से बंद पड़ी कई अहम ट्रेनों का संचालन तक अब तक बहाल नहीं हो पाया है।लोगों को उम्मीद थी कि जैसे ही कोविड की परिस्थितियाँ सामान्य होंगी, पहले की तरह ट्रेनों की आवाजाही पटरी पर लौटेगी।मगर तीन साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बावजूद, न तो बंद पड़ी ट्रेनों को दोबारा शुरू किया गया और न ही नई ट्रेनों के संचालन की कोई ठोस पहल दिखाई दी।यह चुप्पी सिर्फ रेलवे की नहीं, बल्कि उन जनप्रतिनिधियों की भी है, जो चुनावों के दौरान विकास के बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन जिम्मेदारी निभाने की बारी आते ही मौन साध लेते हैं।जहां एक ओर लालकुआं और काठगोदाम जैसे स्टेशन लगातार रेलवे के नक्शे पर उभरते जा रहे हैं, वहीं रामनगर और काशीपुर जैसे पर्यटन और औद्योगिक महत्व के शहर उपेक्षा की मार झेल रहे हैं।यह विडंबना ही कही जाएगी कि कॉर्बेट नेशनल पार्क जैसे विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल के निकट स्थित रामनगर को रेल सुविधाओं से जोड़ने में सरकार और जनप्रतिनिधि विफल नजर आ रहे हैं।
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