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सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी से पूछा: ‘विपक्ष के नेता हैं तो ऐसी बातें क्यों कहेंगे?’, मामले में नोटिस जारी कर जवाब मांगा

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मानहानि के एक मामले की सुनवाई के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने उनसे पूछा कि एक जिम्मेदार विपक्षी नेता होने के बावजूद उन्होंने चीन से जुड़े संवेदनशील मुद्दों पर संसद के बजाय सोशल मीडिया पर बयान क्यों दिया। इस मामले में कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए तीन हफ्ते में जवाब मांगा है।


 

कोर्ट और राहुल के वकील के बीच तीखी बहस

 

सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा, “आप विपक्ष के नेता हैं, तो आप ये बातें क्यों कहेंगे? आप ये सवाल संसद में क्यों नहीं पूछते?” जस्टिस दत्ता ने सीधे तौर पर पूछा, “आपको कैसे पता चला कि चीन ने 2000 वर्ग किलोमीटर पर कब्जा कर लिया है? एक सच्चा भारतीय ऐसा नहीं कहेगा।” कोर्ट ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का जिक्र करते हुए भी कहा कि एक जिम्मेदार नेता होने के नाते उन्हें ऐसे बयान नहीं देने चाहिए।

इसके जवाब में सिंघवी ने कहा कि उनके मुवक्किल ने चुनाव इसलिए नहीं लड़ा कि वह संसद में बोलने के लिए बंधे रहें। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) का हवाला देते हुए कहा कि राहुल गांधी को सवाल पूछने की आजादी है। सिंघवी ने यह भी कहा कि इस तरह के मानहानि के मुकदमे की कोई जरूरत नहीं थी और उनके मुवक्किल को प्राकृतिक न्याय नहीं मिला।


 

क्या था राहुल गांधी का विवादित बयान?

 

यह पूरा मामला 2023 में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान दिए गए राहुल गांधी के एक बयान से जुड़ा है। उन्होंने दावा किया था कि एक पूर्व सेना अधिकारी ने उन्हें बताया है कि चीन ने 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने यह भी कहा था कि भारतीय प्रेस चीन द्वारा भारतीय सैनिकों की पिटाई जैसे मुद्दों पर सवाल नहीं पूछता। इसी बयान के बाद उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज किया गया था।

मई में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने लखनऊ की एमपी-एमएलए अदालत द्वारा जारी समन आदेश को चुनौती दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नोटिस जारी कर कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

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