दसऊ/पश्मी (उत्तराखंड-हिमाचल सीमा): उत्तराखंड के दसऊ गाँव से हिमाचल के पश्मी गाँव के लिए प्रवास पर निकले आराध्य देव श्री चालदा महासू महाराज के संबंध में एक अद्भुत और भावनात्मक घटना सामने आई है, जिसने वेदों की इस वाणी को चरितार्थ कर दिया कि “प्रेम से पुकारोगे तो भगवान नंगे पैर भी दौड़े चले आते हैं।”
😭 भावुक कर देने वाला घटनाक्रम
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प्रस्थान की देरी: श्री महासू महाराज दसऊ गाँव से पहली बार हिमाचल के शिलाई के पश्मी गाँव के लिए प्रवास पर निकले थे। देव परंपरा के अनुसार, महाराज प्रस्थान से पूर्व गाँव की विवाहित और अविवाहित लड़कियों से मिलकर विदाई लेते हैं।
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परंपरा छूटी: अगले कार्यक्रम में हो रही देरी के कारण, पुजारी, बजीर और देव माली पालकी उठाकर भुपोउ गाँव के लिए जल्दबाजी में निकलने लगे। इस कारण खत पश्मी गाँव की लड़कियाँ महासू महाराज को विदाई देने की पारंपरिक रस्म पूरी नहीं कर पाईं।
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विलाप और पुकार: विदाई न होने से निराश लड़कियाँ रास्ते में बैठकर महाराज को पुकारने लगीं और रोना-बिलखना शुरू कर दिया। वहाँ मौजूद लोगों ने उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन लड़कियाँ परंपरा पूरी करने की जिद पर अड़ी रहीं।
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चमत्कार: लड़कियों के विलाप और प्रेम के वशीभूत होकर एक चमत्कार हुआ। वहाँ उपस्थित हजारों लोग उस वक्त हैरान रह गए जब महासू महाराज के गुरु पालकी को अपने कंधों पर लेकर दौड़कर लड़कियों के पास वापस आ गए।
📜 देव इतिहास में पहली बार
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स्थानीय लोगों और देव बजीर का कहना है कि देव इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब विदा होकर निकल चुके महाराज की पालकी किसी के विलाप और पुकार पर वापस लौट कर आई हो।
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श्री महासू महाराज ने दैवीय शक्ति से ओतप्रोत देव माली के माध्यम से लड़कियों की विदाई स्वीकार की, उन्हें आशीर्वाद दिया और फिर आगे के लिए प्रस्थान किया।
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इस घटना को जिसने भी देखा, वह महासू महाराज और उनके भक्तों के बीच के जीवंत प्रेम के प्रति नतमस्तक हो गया।
