डोईवाला (देहरादून): डोईवाला के पब्लिक इंटर कॉलेज में शुक्रवार को ड्रेस कोड तोड़ने पर छात्र-छात्राओं को कथित तौर पर कठोर सज़ा दिए जाने का मामला सामने आया है। अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि नवनियुक्त प्रधानाचार्य ने 40 से अधिक विद्यार्थियों को एक-एक हज़ार बार उठक-बैठक लगाने का दंड दिया, जिसके चलते कक्षा दस की तीन छात्राएं बेहोश हो गईं।
🚨 घटना और अभिभावकों का आक्रोश
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आरोप: अभिभावकों का आरोप है कि ड्रेस कोड का उल्लंघन करने पर प्रधानाचार्य ने विद्यार्थियों को एक-एक हजार बार उठक-बैठक लगाने का दंड दिया, जिससे तीन छात्राएं बेहोश हो गईं।
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हंगामे की वजह: घटना की सूचना पर बड़ी संख्या में अभिभावक कॉलेज पहुँचे और प्रबंधन के खिलाफ जमकर हंगामा किया। अभिभावकों ने आरोप लगाया कि बेहोश होने वाली छात्राएं पहले से बीमार थीं, इसके बावजूद प्रिंसिपल ने उन्हें तत्काल प्राथमिक उपचार तक उपलब्ध नहीं कराया।
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स्थिति: बेहोश होने के बाद छात्राओं की स्थिति काफी देर तक गंभीर बनी रही। विद्यालय प्रबंधन समिति के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ।
🗣️ प्रिंसिपल और प्रबंधक का पक्ष
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प्रिंसिपल (अंकित डोबरियाल): उन्होंने एक हजार उठक-बैठक कराने की बात को पूरी तरह गलत बताया। उनके अनुसार, पिछले एक माह से कुछ विद्यार्थी गलत ड्रेस पहनकर आ रहे थे, जिसके कारण उन्हें अनुशासन सिखाने के लिए बाहर बुलाकर कुछ उठक-बैठक करने को कहा गया था। उन्होंने दावा किया कि कोई बेहोश नहीं हुआ, सिर्फ एक छात्रा के पैर में मामूली दर्द हुआ।
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प्रबंधक (मनोज नौटियाल): उन्होंने कहा कि 1 नवंबर से लगातार ड्रेस कोड का पालन करने की अपील की जा रही थी और अभिभावकों को मैसेज भी भेजे गए थे। उनके अनुसार, यह दंड नहीं, बल्कि अनुशासनात्मक अभ्यास था।
🏛️ शिक्षा विभाग और पुलिस की प्रतिक्रिया
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खंड शिक्षा अधिकारी (अजीत भंडारी): उन्होंने कहा कि मामला उनके संज्ञान में आ चुका है, जाँच कराई जाएगी और यदि लापरवाही पाई जाती है, तो नियमानुसार कार्रवाई होगी।
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सीईओ (विनोद ढौंडियाल): उन्होंने देर शाम जानकारी मिलने के बाद खंड शिक्षा अधिकारी से पूरा विवरण मांगा है। उन्होंने कहा कि अगर वाकई छात्राएं बेहोश हुईं या चोटिल हुईं तो कड़ी कार्रवाई होगी।
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पुलिस: डोईवाला कोतवाली के एसएसआई विनोद राणा ने बताया कि इस मामले में पुलिस को न तो कोई शिकायत मिली है और न ही कोई सूचना।
पार्षद गौरव मल्होत्रा ने कहा कि अनुशासन जरूरी है, लेकिन इतनी कठोर सज़ा बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती है।
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