देहरादून: उत्तराखंड के पंचांगों में दीपावली की दो अलग-अलग तिथियाँ होने से लोगों में बना संशय अब समाप्त हो गया है। त्योहार में एकरूपता लाने के उद्देश्य से रविवार को ज्योतिषाचार्यों और विद्वानों ने गूगल मीट पर एक गोष्ठी का आयोजन किया। इसमें सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि 20 अक्टूबर को ही शास्त्रीय प्रमाणों के आधार पर पूरे देश में दीपोत्सव मनाया जाएगा।
‘एक राष्ट्र, एक पर्व’ के संकल्प पर फैसला
पिछले साल की तरह इस बार भी कुछ पंचांग 21 अक्टूबर को तो कुछ 20 अक्टूबर को दीपावली मनाने की बात कह रहे थे, जिससे आम जनता में भ्रम की स्थिति बनी हुई थी। पर्व निर्णय सभा के अध्यक्ष आचार्य डॉ. जगदीश चंद्र भट्ट ने बताया कि देश के विद्वानों से विचार-विमर्श के बाद यह तय किया गया कि जिस दिन भारत सरकार दीपावली के लिए राष्ट्रीय अवकाश घोषित करेगी, उसी दिन यह पर्व मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि 20 अक्टूबर को राष्ट्रीय अवकाश है और यह तिथि शास्त्रसम्मत भी है।
शास्त्र सम्मत है 20 अक्टूबर की तिथि
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर डॉ. विनय पांडेय ने स्पष्ट किया कि शास्त्रों के अनुसार 20 अक्टूबर को ही दीपावली मनाना उचित है, क्योंकि इस दिन संपूर्ण प्रदोषकाल और निषाकाल उपलब्ध है। बुद्धिबल्लभ पंचांग के संपादक आचार्य पवन पाठक ने कहा कि अगर सभी पंचांग पारंपरिक सूर्य सिद्धांत पद्धति पर आधारित हों, तो ऐसी मतभेद की स्थिति उत्पन्न ही नहीं होगी। गोष्ठी में उत्तराखंड के अलावा राजस्थान, दिल्ली और हरियाणा के भी कई जाने-माने ज्योतिषाचार्य शामिल हुए।
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