भारत और पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशकों (DGMO) ने सैन्य कार्रवाई और गोलीबारी रोकने के लिए दोनों पक्षों के बीच 10 मई को बनी सहमति के विभिन्न पहलुओं पर सोमवार की शाम विचार-विमर्श किया।
हॉटलाइन पर यह बातचीत पहले दोपहर 12 बजे होनी थी। हालांकि यह बातचीत शाम करीब पांच बजे शुरू हुई।
भारतीय सेना ने कहा कि डीजीएमओ स्तर की वार्ता संपन्न हो गई है। आगे की डिटेल्स की प्रतीक्षा है और इसे उचित समय पर साझा किया जाएगा। दोनों डीजीएमओ के बीच शनिवार को वार्ता के बाद सैन्य कार्रवाई और गोलीबारी रोकने के लिए सहमति की घोषणा की गई। यद्यपि शनिवार रात को पाकिस्तानी सेना द्वारा सहमति का उल्लंघन करने के मामले सामने आए, लेकिन रविवार रात को ऐसी कोई घटना नहीं हुई।
सेना ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि जम्मू कश्मीर और अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे अन्य क्षेत्रों में रात कुल मिलाकर शांतिपूर्ण रही। इसमें कहा गया, “किसी घटना की सूचना नहीं मिली है, जो हाल के दिनों में पहली शांत रात है।” डीजीएमओ वार्ता से कुछ घंटे पहले, भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने एक प्रेसवार्ता को संबोधित किया, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला गया।
एयर मार्शल ए. के. भारती ने क्या कहा?
वायु अभियान महानिदेशक एयर मार्शल ए. के. भारती ने कहा, “हमने दोहराया है कि हमारी लड़ाई आतंकवादियों और (पाकिस्तान में) उनके बुनियादी ढांचे के खिलाफ थी। हालांकि, यह दुख की बात है कि पाकिस्तानी सेना ने हस्तक्षेप करने और आतंकवादियों का समर्थन करने का फैसला किया, जिसके कारण हमें उसी तरह जवाब देने के लिए मजबूर होना पड़ा।” भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर के तहत छह और सात मई की दरमियानी रात आतंकी ढांचे पर सटीक हमले किए। भारतीय कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने आठ, नौ और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने का प्रयास किया।
भारत-पाक DGMO के बीच नहीं हो पाया संपर्क, आज शाम दूसरी बातचीत की उम्मीद
पाकिस्तानी प्रयासों का भारत ने कड़ा जवाब दिया तथा पाकिस्तानी वायुसैन्य ठिकानों, वायु रक्षा प्रणालियों, कमान एवं नियंत्रण केंद्रों तथा रडार स्थलों सहित कई प्रमुख पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों को भारी क्षति पहुंचाई। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने शनिवार शाम को घोषणा की कि भारत और पाकिस्तान जमीन, हवा और समुद्र पर सभी गोलाबारी और सैन्य कार्रवाइयों को तत्काल प्रभाव से रोकने के लिए एक समझौते पर पहुंच गए हैं। सूत्रों ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभी पूरा नहीं हुआ है और सीमापार आतंकवाद की कीमत चुकानी होगी, क्योंकि पाकिस्तान अपनी पसंद के क्षेत्रों में सहयोग की उम्मीद करते हुए आतंकवाद को जारी नहीं रख सकता।
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