पिथौरागढ़: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक सरकारी स्कूल में नियमों के अनुसार एक चपरासी को ही प्रिंसिपल का प्रभार सौंप दिया गया है। इस घटना से जहाँ लोग अचंभित हैं, वहीं शिक्षा विभाग खुद अपने बनाए नियमों के जाल में उलझ गया है। यह मामला मुनस्यारी तहसील के जीआईसी खतेड़ा स्कूल का है।
जीआईसी खतेड़ा का है मामला, शिक्षक आंदोलन की वजह से बनी स्थिति
मुनस्यारी के जीआईसी खतेड़ा में एक एलटी प्रवक्ता, एक अन्य स्थाई शिक्षक, पाँच अतिथि शिक्षक और एक चपरासी तैनात हैं। इन दिनों प्रदेश में शिक्षक अपने आंदोलन के तहत पठन-पाठन को छोड़कर कोई भी प्रशासनिक कार्य करने से मना कर रहे हैं। इसी क्रम में एलटी प्रवक्ता छोटे लाल ने स्कूल प्रभारी का पद छोड़ दिया, और दूसरे स्थाई शिक्षक ने भी जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया। इसके बाद, छोटे लाल ने नियमानुसार स्कूल का प्रभार चपरासी राजू गिरी को सौंप दिया। अब राजू गिरी के पास स्कूल की घंटी बजाने के साथ-साथ प्रिंसिपल के तौर पर फैसले लेने की भी जिम्मेदारी आ गई है।
नियमों के खेल में फंसा शिक्षा विभाग, जानिए कैसे चपरासी को मिला प्रभार
चपरासी के प्रिंसिपल बनने का यह मामला भले ही अजीब लगे, लेकिन यह सब विभाग द्वारा बनाए गए नियमों के तहत हुआ है। नियम कहता है कि स्कूल का प्रभार केवल किसी स्थाई कर्मचारी को ही सौंपा जा सकता है। जब स्कूल में मौजूद दोनों स्थाई शिक्षकों ने यह जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया, तो नियमानुसार एकमात्र विकल्प राजू गिरी ही थे, जो स्थाई कर्मचारी हैं। अब स्कूल के पाँच अतिथि शिक्षकों को भी चपरासी राजू गिरी के आदेशों का पालन करना होगा।
इस घटना पर मुनस्यारी के खंड शिक्षा अधिकारी दिगंबर आर्य ने कहा कि शिक्षक संघ के आंदोलन की वजह से ऐसी स्थिति बनी है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को प्रभार सौंपने से पहले विभाग को सूचित करना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने जल्द ही इस मामले में कोई फैसला लेने का आश्वासन दिया है।
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