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आपको बताते चले कि अभी तक काशीपुर में मेयर के पद को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला माना जा रहा था परंतु अपनी मस्त चाल में चल रहे हसीन खान ने अपनी जबरदस्त एंट्री दर्ज करवाते हुए सियासी समीकरण को बदल कर रख दिया है।बसपा के हसीन खान का चुनावी प्रचार जैसे जैसे जोर पकड़ रहा है उससे भाजपा कांग्रेस समर्थकों की नींद उड़ गयी है।
क्षेत्र के मुस्लिम मतदाताओ के साथ ही बसपा के केडर वोट से हसीन खान काफी मजबूत स्थिति काफी मजबूत बताई जा रही है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है 2008 में नगर पालिका के चुनाव में भाजपा कांग्रेस की लड़ाई का फायदा उठाकर बसपा उम्मीदवार शमसुद्दीन ने काशीपुर में परचम लहराया था वहीं वर्तमान में नजर डाली जाए तो सन 2008 वाली स्थिति इस बार भी सारे समीकरणों को बदलती हुई दिखाई दे रही है। अभी चुनाव को काफी दिन बाकी है यदि इस बार भी हाथी की मस्त चल को भाजपा और कांग्रेस नहीं रोक पाई तो यह कहना बेमानी होगा कि 2008 की पुनरावृत्ति कि बार भी होगी । फिलहाल चुनावी रण में हसीन खान की जोरदार एंट्री ने कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों को काफी सोचने पर मजबूर कर दिया है।