किच्छा के 6 गांवों में सरकारी ज़मीन पर खड़े पॉपुलर के लाखों पेड़ों को तस्करों से बचाने के झंझट से बचने के लिए आखिरकार प्रशासन ने इन्हें नीलाम कर दिया. ज़िला प्रशासन की नीलामी में हरियाणा की एक इंडस्ट्री ने सबसे ज़्यादा 40 करोड़ 25 लाख रुपये की बोली लगाकर 1.11 लाख पेड़ खरीद लिये, तो प्रशासन उम्मीद से तीन गुना राजस्व मिलने से उत्साहित है. असल में इन पेड़ों की अवैध कटाई ने नाक में दम किया हुआ था. प्रशासन ने इन पेड़ों की रक्षा के लिए होमगार्ड, पीआरडी और स्थानीय पुलिस से भी जवानों की मांग की थी.
एडीएम ललित नारायण मिश्र के मुताबिक हाल में किच्छा के सुतईयां गांव में सरकारी पेड़ों की चोरी की कोशिश का मामला आया. पूर्व प्रधान ने अपने साथियों के साथ सरकारी जमीन पर खड़े सैकड़ों पॉपुलर के पेड़ रात के अंधेरे में काट दिए. बुधवार की आधी रात राजस्व विभाग की टीम ने दो ट्रैक्टर ट्रॉली में लादकर रखे 274 गिल्टे और खेत पर काटकर रखे गए 840 गिल्टे ज़ब्त किए. इतनी संख्या में सरकारी पेड़ों को कटने और आरोपियों के मौके से भाग जाने से प्रशासन में हड़कंप मच गया. अब पेड़ों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी से प्रशासन ने मुक्ति पा ली है.
ऐसे हुई नीलामी और मिली तीन गुनी कीमत
किच्छा के प्राग, पवन फार्म और अन्य हिस्सों में स्थित राजपुरा, पंतपुरा, लक्ष्मीपुर, नूरपुर, गडरियाबाग, बडिया गांव में तस्करों से बचे 1,11,235 पेड़ों की नीलामी की गई. वन निगम से पेड़ों का मूल्यांकन कराने के बाद न्यूनतम मूल्य 12 करोड़ 66 लाख रखा गया था. मिश्र ने बताया कि नीलामी में 33 इंडस्ट्री, ठेकेदारों ने बोली लगाई. हरियाणा इंडस्ट्री यमुनानगर ने सबसे बड़ी बोली लगाकर पेड़ खरीद लिये, जिससे न्यूनतम मूल्य का तीन गुना अधिक राजस्व मिला. अब इंडस्ट्री को यह रकम जमा करने के लिए 5 दिन का वक्त दिया गया है.
क्यों ये पेड़ बने थे गले की फांस?
असल में, 8 साल पहले प्राग और पवन फार्म की लीज़ खत्म होने के बाद सरकार को ये पेड़ मिले थे. सैकड़ों एकड़ में फैले फार्म में सांठगांठ से हजारों पेड़ों की चोरी और तस्करी होती रही. लगातार पेड़ों की कटाई प्रशासन की गले की फांस बन गई थी. साल 2020 में 556 पेड़ों के कटान के मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका में पेड़ों की कटाई पर प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने के आरोप लगे.
इसके बाद भी अगस्त 2021, जनवरी 2022 में भी फार्म से सैकड़ों पेड़ों के चोरी होने के मामले अदालतों में पहुंचते रहे. कुल मिलाकर इन पेड़ों की सुरक्षा करने में लगातार नाकाम रहा प्रशासन अब राहत की सांस ले रहा है. आपको बता दें कि पिछले कुछ समय में पॉपुलर के इस पेड़ की डिमांड देश विदेश में खासी बढ़ी है. इस पेड़ से क्रिकेट बैट, कैरम का सामान, बॉक्स, माचिस, चॉपस्टिक्स और हल्की प्लाईवुड जैसे उत्पाद बनाए जाते हैं.
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