नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उन मदरसों के मामले में सुनवाई की, जिन्हें जिला प्रशासन ने 14 अप्रैल 2025 को बिना पंजीकरण के चलने के कारण सील कर दिया था। कोर्ट ने आदेश दिया है कि जो मदरसे, मदरसा बोर्ड में पंजीकृत नहीं हैं, वे अपने नाम के साथ ‘मदरसा’ शब्द का इस्तेमाल नहीं कर सकते। यदि वे ऐसा करते हैं, तो जिला प्रशासन उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।
हालांकि, कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जिन मदरसों को सील किया गया था, उन्हें खोला जाए। लेकिन इन संस्थानों को एक शपथपत्र देना होगा कि वे कोई शिक्षण संबंधी कार्य नहीं करेंगे। उन्हें ‘मकतब’ से जुड़े धार्मिक कार्य करने की इजाजत होगी।
पिरान कलियर भूमि विवाद: हाईकोर्ट ने डीएम-एसएसपी की रिपोर्ट पर याचिका खारिज की
एक अन्य मामले में, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पिरान कलियर की सरकारी भूमि को लेकर दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में कहा गया था कि नगर पंचायत को सरकारी जमीन दी जाए, क्योंकि उसके पास अपना कार्यालय नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने जिलाधिकारी और एसएसपी की रिपोर्ट के आधार पर यह फैसला लिया। रिपोर्ट में बताया गया था कि जिस भूमि की मांग की जा रही थी, उसे पुलिस थाने के लिए आवंटित किया गया है, और नगर पंचायत को कार्यालय के लिए दूसरी भूमि दी गई है। एसएसपी ने तर्क दिया कि उनके अधिकार क्षेत्र में 27 गाँव आते हैं, जिसके लिए उन्हें कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए थाने की आवश्यकता है।
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