पिथौरागढ़: पिथौरागढ़ जिले के लिए एक बड़ी ढांचागत परियोजना को केंद्र सरकार से मंज़ूरी मिल गई है। बूंदी और गर्ब्यांग के बीच 5.4 किलोमीटर लंबी टनल (सुरंग) का निर्माण किया जाएगा, जिससे आदि कैलाश और ओम पर्वत की यात्रा न केवल आसान, बल्कि सुरक्षित भी हो जाएगी।
केंद्रीय सड़क परिवहन राज्य मंत्री अजय टम्टा ने पिथौरागढ़ दौरे के दौरान इस परियोजना की घोषणा की।
🏔️ टनल की प्रमुख बातें
| विशेषता | विवरण |
| टनल की लंबाई | 5.4 किलोमीटर |
| स्थान | बूंदी और गर्ब्यांग के बीच (छियालेक पहाड़ी पर) |
| यात्रा में कमी | टनल बनने से यात्रा की दूरी 22 किलोमीटर कम हो जाएगी और समय की बचत होगी। |
| कुल लागत | कैलाश मानसरोवर और आदि कैलाश रूट पर लगभग ₹1,600 करोड़ खर्च किए जाएँगे। |
🚧 निर्माण की आवश्यकता
- यह टनल छियालेक पहाड़ी पर बनेगी। वर्तमान में यह इलाका सड़क की बेहद खराब स्थिति के कारण जाना जाता है, जिससे बड़ी गाड़ियों का निकलना मुश्किल होता है।
- यह टनल वर्तमान में धारचूला से गुंजी तक सड़क पर मौजूद 27 तीखे मोड़ों की समस्या को भी दूर करेगी, जिनमें से कुछ लगभग 90 डिग्री के हैं।
- बारिश के मौसम में, यह क्षेत्र अक्सर भूस्खलन (लैंडस्लाइड) और मलबे से अवरुद्ध हो जाता है, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी होती है।
⏳ परियोजना की प्रगति
- डीपीआर: टनल के लिए डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) लगभग तैयार है, और मंज़ूरी के बाद जल्द ही काम शुरू हो जाएगा।
- भूमि अधिग्रहण: ज़मीन खरीदने का प्रोसेस भी शुरू हो गया है। सरकार ने प्रभावित लोगों को मुआवज़े के लिए ₹137 करोड़ दिए हैं, जिसका लगभग 60 प्रतिशत उनके अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया गया है।
🛡️ सामरिक और पर्यटन महत्व
यह टनल न सिर्फ़ पर्यटन के लिए, बल्कि सामरिक नज़रिए से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है:
- बॉर्डर सिक्योरिटी: यह रास्ता चीन और नेपाल की सीमा के पास से गुज़रता है, जहाँ आर्मी, आईटीबीपी (ITBP) और एसएसबी (SSB) तैनात हैं। टनल बनने से इन इलाकों तक सैन्य पहुँच आसान हो जाएगी, जिससे सीमा सुरक्षा तेज़ हो जाएगी।
- स्थानीय लाभ: गर्ब्यांग, गुंजी, नाबी और कुटी समेत छह दूर-दराज के गाँवों के लोगों को बाज़ार, अस्पताल और स्कूल तक आसान पहुँच मिलेगी।
- धार्मिक पर्यटन: आदि कैलाश और ओम पर्वत जैसे धार्मिक स्थलों पर जाने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में वृद्धि होगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
यह भी पढ़ें 👉 उत्तराखंड किसान संकट: बेटी की शादी सिर पर, धान न बिकने पर हताश किसान ने ढेर में लगाई आग
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि धारचूला से लिपुलेख तक सड़क बनाने का करीब 90% काम पूरा हो चुका है, और यह टनल उत्तराखंड के सीमावर्ती इलाकों में विकास की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी।
अपने मोबाइल पर ताज़ा अपडेट पाने के लिए -
👉 हमारे व्हाट्सएप ग्रुप को ज्वाइन करें
