सूत्रों के मुताबिक, 6 जुलाई को सीएम धामी कार्बेट पार्क पहुंचे, जहां यूके-19 जीए-0067 नंबर की एक जिप्सी से उन्हें सफारी कराई गई। वाहन में सीटीआर निदेशक साकेत बडोला भी मौजूद थे। लेकिन दो दिन बाद जब वाहन के कागज़ात खंगाले गए, तो यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि इस वाहन की फिटनेस 22 अगस्त 2022 के बाद कभी रिन्यू ही नहीं कराई गई थी।
यह सवाल अब ज़ोर पकड़ रहा है कि क्या मुख्यमंत्री की सुरक्षा से सीधे-सीधे समझौता किया गया? राज्य के सबसे संवेदनशील पद पर बैठे व्यक्ति के लिए इस्तेमाल वाहन की वैधता की जांच क्यों नहीं की गई?
हालांकि, राहत की बात यह रही कि सफारी के दौरान वाहन में किसी भी प्रकार की तकनीकी खराबी नहीं थी। लेकिन सुरक्षा मानकों की अनदेखी को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
जांच के आदेश:
मामले के प्रकाश में आने के बाद प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) समीर सिन्हा ने इस पूरे प्रकरण की जांच पीसीसीएफ (वन्यजीव) एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक रंजन मिश्रा को सौंप दी है।
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