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फर्जी दस्तावेज बनाने वालों पर चला धामी का चाबुक राज्यभर में सख्त जांच, पूरे नेटवर्क पर शिकंजा कसने की तैयारी

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राजू अनेजा,देहरादून/हल्द्वानी। बनभूलपुरा में फर्जी दस्तावेज तैयार किए जाने का मामला सामने आते ही सरकारी मशीनरी में जबरदस्त अफरा-तफरी मच गई है। पहचान और प्रमाणपत्र प्रणाली की जड़ों तक धांधली पहुँचने के संकेतों ने सरकार को बड़े स्तर पर सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूरे प्रकरण को अत्यंत गंभीर मानते हुए निर्देश दिए हैं कि फर्जी पहचान का सहारा लेने वालों और उनके पूरे नेटवर्क को चिन्हित कर कड़ी कार्रवाई की जाए।


फर्जी स्थायी, जाति और निवास प्रमाणपत्रों ने खोली बड़ी सेंध

बनभूलपुरा प्रकरण में फर्जी स्थायी, जाति और निवास प्रमाणपत्र तैयार किए जाने की आशंका ने प्रशासन को झकझोर दिया है। संवेदनशील इलाकों को चिह्नित कर वहां विशेष सत्यापन तंत्र बनाने की तैयारी चल रही है, ताकि पहचान से जुड़े किसी भी स्तर पर गड़बड़ी की गुंजाइश न रहे। अधिकारियों का मानना है कि यह मामला सिर्फ प्रशासनिक चुनौती नहीं, बल्कि कानून-व्यवस्था और सामाजिक सौहार्द के लिए भी खतरा बन सकता है।


जिला-तहसील स्तर पर होगा दोबारा परीक्षण, डेटा मिलान सख्त

सरकार ने सभी संबंधित विभागों को आदेश जारी किए हैं कि संदिग्ध दस्तावेजों की तुरंत दोबारा जांच की जाए। तहसीलों और जिलों में पुनः परीक्षण अभियान शुरू किया जा रहा है। विभागों के बीच डेटा-मिलान प्रणाली को और मजबूत किया जा रहा है, ताकि एक भी गड़बड़ी छूट न सके।

नैनीताल एसएसपी मंजूनाथ टीसी ने बताया कि पुलिस ने पूरे जिले में सत्यापन अभियान तेज कर दिया है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रह रहे संदिग्धों से लगातार पूछताछ की जा रही है।


मुख्यमंत्री धामी का स्पष्ट संदेश—ढिलाई बर्दाश्त नहीं

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि पहचान प्रमाणपत्रों से जुड़े मामलों में किसी भी स्तर पर लापरवाही स्वीकार्य नहीं है। जहां भी फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर पहचान या सरकारी लाभ छिपाने की कोशिश पकड़ी गई है, उन इलाकों में विशेष निगरानी रखी जाएगी। सरकार का मानना है कि मौजूदा सख्ती आगे किसी बड़े घोटाले या विवाद को पनपने से रोक सकती है।


अभियान बड़ा, लक्ष्य और बड़ा—फर्जीवाड़ा खत्म कर पारदर्शिता लाना

मुख्यमंत्री कार्यालय के विशेष सचिव पराग मधुकर धकाते ने बताया कि पूरे प्रदेश में एक विशेष अभियान शुरू किया जा रहा है, जिससे न केवल फर्जी दस्तावेज बनाने वालों पर कार्रवाई होगी, बल्कि उन सरकारी कर्मचारियों की भी जवाबदेही तय होगी, जिनकी लापरवाही या मिलीभगत से ऐसी खामियां जन्म लेती हैं।

सरकार एक ऐसी सूची तैयार कर रही है, जिन लोगों ने वर्षों से गलत दस्तावेजों के आधार पर सिस्टम को धोखा दिया है। साथ ही आधार आधारित प्रमाणीकरण, डिजिटल रिकॉर्ड और रीयल-टाइम डेटा शेयरिंग जैसी तकनीकी व्यवस्थाओं को और मजबूत किया जा रहा है।


राज्यव्यापी अभियान से होगी निर्णायक चोट

बनभूलपुरा घटना ने साफ कर दिया है कि अब पहचान और दस्तावेज प्रणाली को पूरी तरह दुरुस्त करने का समय आ गया है। सरकार का कहना है कि आने वाला राज्यव्यापी अभियान फर्जीवाड़े पर निर्णायक प्रहार करेगा और प्रमाणपत्र व्यवस्था को सुरक्षित व पारदर्शी बनाने में मील का पत्थर साबित होगा।

 

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