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दोहरी मतदाता सूची विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड निर्वाचन आयोग पर लगाया ₹2 लाख का जुर्माना, कांग्रेस ने साधा निशाना

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देहरादून: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की मतदाता सूची से जुड़े एक अहम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने आयोग की याचिका को आधारहीन बताते हुए खारिज कर दिया और आयोग पर ₹2 लाख का जुर्माना लगाया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कांग्रेस ने हमलावर रुख अपनाते हुए कहा कि अदालत ने उनकी चिंता को सही ठहराया है।


 

कांग्रेस ने कहा- अदालत ने हमारी चिंता को सही ठहराया

 

उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अदालत ने आयोग पर अर्थदंड लगाकर उनकी बात को सही साबित किया है।

  • पुराना विरोध: माहरा ने बताया कि कांग्रेस ने 6 जुलाई 2025 को ही राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर नगरीय और पंचायत चुनाव की वोटर लिस्ट में मतदाताओं और प्रत्याशियों की दोहरी प्रविष्टियों का मुद्दा उठाया था।
  • आयोग पर आरोप: उन्होंने कहा कि आयोग को चेतावनी दी गई थी कि अगर 10 दिसंबर 2019 के आदेश का पालन नहीं हुआ तो कांग्रेस कानूनी कार्रवाई करेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि ग्रामीण क्षेत्रों के कई मतदाताओं के नाम नगरीय सूची में भी दर्ज थे, जिससे चुनाव की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे थे।

माहरा ने कहा कि अदालत ने आयोग को कानून के विपरीत सर्कुलर जारी करने और आधारहीन याचिका दाखिल करने के लिए दंडित किया है।


 

दोहरी लिस्ट पर चुनाव लड़ने की रोक सही: सुप्रीम कोर्ट

 

कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य गुरदीप सिंह सप्पल ने भी कोर्ट के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने अपने समर्थकों के नाम नगर निकाय से ग्राम पंचायत वोटर लिस्ट में शिफ्ट कराकर अनुचित लाभ लेने की कोशिश की।

  • कोर्ट का फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस आदेश को सही ठहराया, जिसमें दोहरी वोटर लिस्ट में नाम रखने वाले लोगों के चुनाव लड़ने पर रोक लगाई गई थी।
  • सवाल: सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग से पूछा कि “आप वैधानिक प्रावधान के विपरीत आदेश कैसे दे सकते हैं?”

गौरतलब है कि राज्य निर्वाचन आयोग ने हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसने आयोग के एक सर्कुलर पर रोक लगाई थी। यह सर्कुलर कई मतदाता सूचियों में नाम वाले उम्मीदवारों को पंचायत चुनाव लड़ने की अनुमति दे रहा था। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है।

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